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अभिषेक जायसवाल/वाराणसी: देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में दो लोगों को राजा की उपाधि मिली. आज भी काशी में लोग इन्हें राजा कहकर ही पुकारते है. इनमें पहला नाम काशी नरेश का और दूसरा डोम राजा परिवार. डोम राजा वह परिवार जो वर्षों से काशी के महाश्मशान घाट पर चिताओं को अग्नि देता है और शव दाह का काम करता है. अनादि काल से यह होता चला आ रहा है.

काशी के महाश्मशान घाट पर शवदाह करने वाले इसी परिवार को अब पीएम मोदी ने अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में खास न्योता भेजा है. जिसके बाद शनिवार को डोम राजा परिवार के पांच सदस्य चांदी का त्रिशूल लेकर अयोध्या रवाना हो गए है. डोम राजा परिवार के लिए यह गौरव का पल है.

पीएम मोदी के प्रस्तावक थे जगदीश चौधरीहालाकिं इसके पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामाजिक समरसता का संदेश देने के लिए काशी के तत्कालीन डोम राजा जगदीश चौधरी को 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान अपना प्रस्तावक बनाया था. इसके बाद जुलाई 2021 में उनका निधन हो गया और फिर मरणोपरांत उन्हें पद्मश्री अवार्ड भी मिला.

राजेन्द्र प्रसाद ने दी थी डोम राजा की उपाधिअस्सी घाट के पुरोहित बलराम मिश्रा ने बताया कि मुगलकाल के दौरान घाटों पर पंडागिरी करने वालो को पुरोहित और शवदाह करने वाले लोगों को अधिकार पत्र दिए जाते थे. उसी अधिकार पत्र के जरिए इनके परिवार को शवदाह के लिए अधिकार मिला था और इन्हें डोम राजा कहा जाने लगा. भारत की आजादी के बाद देश के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने इन्हें आजाद भारत में डोम राजा की उपाधि दी.

देश के पहले राष्ट्रपति ने दिया था ताम्रपत्रडोम राजा परिवार से जुड़े विश्वनाथ चौधरी ने बताया कि राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उनके परदादा पन्ना लाल चौधरी को इसके लिए बाकायदा ताम्रपत्र भी दिया था. पन्नालाल के बाद नंद लाल चौधरी और उनके बाद ईश्वर लाल चौधरी काशी के डोमराजा बने थे.आज भी यह परम्परा निरंतर चली आ रही है.
.Tags: Ayodhya ram mandir, Local18, Uttar Pradesh News Hindi, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : January 20, 2024, 16:53 IST

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