[ad_1]

वाराणसी. यूपी के वाराणसी में आयोजित ‘काशी तमिल संगमम’ में तमिलनाडु के वुड कार्विंग (Wood Carving) की कलाकारी अब उतर भारत में धूम मचा रही है. बीएचयू (BHU) के एमपी थिएटर मैदान में लगी प्रदर्शनी में लोगों को ये कलाकारी खूब भा रही है. तमिलनाडु के कालाकुच्चू जिले के पांच गांवों के कारीगर लकड़ी पर इस कला को उकेर कर इसे जिंदा रखे हुए हैं. खास बात ये है कि 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के प्रयासों से इस कुटीर उद्योग को संजीवनी मिली है. वहीं, कारीगरों के पास पहले से ऑर्डर भी बढ़े हैं.वाराणसी में लगे स्टॉल पर काशी के लोगों को इसकी खूबसूरती अपनी ओर आकर्षित कर रही है. वुड कार्विंग के कारीगर आर शक्तिवेल ने बताया कि तमिलनाडु में इस कला से करीब 300 कारीगर जुड़े हैं. 2014 के पहले ये कला डूबने के कगार पर थी, लेकिन उसके बाद जब से इसे जीआई टैग मिलने से इस कलाकारी को संजीवनी मिल गई है. इसके अलावा अब ऑनलाइन ऑर्डर भी कारीगरों के पास आ रहे हैं.10 हजार तक है कीमतलकड़ी की मोटे टहनियों को इससे जुड़े कारीगर नुकीले लोहे के औजार से खूबसूरत आकृति देते हैं. इस कलाकारी में भगवान गणेश, मां दुर्गा और पशु पक्षियों की आकृति लोगों को खूब लुभाती है. काशी तमिल संगमम में इसे देखने वालों की भीड़ भी है. कारीगर आर शक्तिवेल ने बताया कि इसकी कीमत 1 हजार से लेकर 10 हजार रुपये तक है. आज इससे जुड़े कारीगर हर दिन करीब 700 से 1 हजार रुपये आराम से कमा पा रहे हैं.लोगों को कर रही आकर्षितबता दें कि वाराणसी में उत्तर भारत और दक्षिण भारत के इस समागम में लोगों को वहां की संस्कृति के साथ वहां की हस्तकला की कारीगरी भी खूब पसंद आ रही है. यकीनन यह हस्‍तकला काशी के लोगों को और यहां आने वाले पयर्टकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : November 29, 2022, 09:38 IST

[ad_2]

Source link