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Carrot Benefits For Health: हर साल 4 अप्रैल को विश्व गाजर दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लोगों को गाजर के फायदे से रूबरू कराना है. साथ ही लोगों के बीच पौष्टिक आहारों के प्रति जागरुकता बढ़ सकेगी. ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय गाजर दिवस, गाजर की सभी विभिन्न किस्मों के बारे में और इसके फायदे जानने का एक सही अवसर है. आइए जानते हैं इसके फायदे और इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें… कहानी अभी बाकी हैलाइव टीवी
जानें गाजर खाने के फायदे-
1. आंख- गजर आंखों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. बीटा कैरोटीन, अल्फा कैरोटीन ल्यूटीन नामक ऑर्गेनिक पिगमेंट होता है जो गाजर में समृद्ध मात्रा में पाया जाता है. उम्र के साथ होने वाली आंखों के समस्या में आराम दिलवाने में बीटा कैरोटीन मदद कर सकता है. इसके अलावा इसमें अन्य खनिज जैसे विटामिन सी भी पाया जाता है. 
2. इम्यूनिटी- गाजर में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं. इसके अलावा इसमें मौजूद  बीटा कैरोटीन और ऑर्गेनिक कंपाउंड शरीर को कई संक्रामक बीमारियों से बचाने का काम करता है. 
3. पाचन के लिए फायदेमंद- गाजर में फाइबर की मौजूदगी आपको कब्ज से राहत दिला सकती है. अगर आपका पेट साफ नहीं हो रहा है तो कुछ कच्चे गाजर को अपने डाइट में शामिल कर लें. इससे मल त्यागने में आसानी होती है. 
4. त्वचा- गाजर में मौजूद बीटा-कैरोटीन एक प्रभावी एंटी ऑक्सीडेंट है जो एंटी एजिंग के साइंस को कम करता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, यूवी किरणें 80% तक चेहरे पर बढ़ती उम्र के लक्षण दिखने का कारण बन सकती है. इन लक्षणों में रूखी त्वचा, फाइन लाइंस, पिगमेंटेशन जैसी समस्या शामिल हैं. वहीं एंटी ऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स और युवी किरने से बचा कर जवान बनाए रखने में मदद करता है.
अंतर्राष्ट्रीय गाजर दिवस का इतिहाससाल 2003 अंतर्राष्ट्रीय गाजर दिवस की स्थापना हुई. इसके बाद से ही 2012 से यह दुनिया भर के लोगों को पता चल गया कि गाजर खाने के कई फायदे होते हैं. अंतर्राष्ट्रीय गाजर दिवस समारोह ने दुनिया भर में फ्रांस, स्वीडन, इटली, रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम सहित विभिन्न महाद्वीपों के कई देशों में अपना रास्ता खोज लिया था. गाजर का वानस्पतिक नाम डाकस कैरोटा है. जानकारों का मानना है कि एशिया के लोगों ने सबसे पहले गाजर की खेती की शुरुआत की और वहीं से ये विश्व के अन्य देशों में पहुंची. गाजर की मूल उत्पत्ति पंजाब और कश्मीर की पहाड़ियो में हुई. वहीं ये चार अलग अलग रंगों की पाई जाती है. 
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com – सबसे पहले, सबसे आगे.

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