[ad_1]

धीरेन्द्र शुक्लाचित्रकूट : भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में एक प्राकृतिक स्थान है. जो प्राकृतिक दृश्यों के साथ-साथ अपने आध्यात्मिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध है. पर्यटक यहां के खूबसूरत झरने, चंचल युवा हिरण और नाचते मोर को देखकर रोमांचित होता है. ऐसा मालूम होता है कि वर्षों की सिद्धियां यहां आज भी मौजूद है . जब भी लोग यहां आते हैं तो उनका मन प्रफुल्लित हो जाता है देवताओं के निवास की ऊर्जा यहां आज भी लोग अनुभव करते हैं.

जहां देवताओं ने किया था निवासचित्रकूट में देवताओं ने वास किया था जिसको आज देवों का आंगन यानी कि देवांगना कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि प्रभु श्री राम के वनवास होने से पहले ही देवताओं को उनके आने का आभास हो गया था , इसी वजह से सभी देवता इसी चित्रकूट की धरती पर अपना आंगन बनाकर वास करने लगे , और उनके साथ उनकी पत्नियां साथ रहने लगी थी.

स्वयं ब्रह्मा जी ने यहां आकर इस धरती को शुद्ध किया था, तभी से यह स्थान देवताओं का स्थान माना जाता है. कहते हैं कि जो भी सच्चे मन से यहां आकर भक्ति करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. यही वजह है कि त्रेता युग के पहले से इस धरती का वजूद है. सतयुग में देवताओं को अपनी स्त्रियों के साथ यहां रहना हुआ. जिससे इस जगह को देवांगना कहा जाने लगा. देवताओं के आंगन में आज भी पानी की जलधारा निकलती है और एक कुंड में हमेशा पानी भरा रहता है.

स्थान के महंत जी कहते हैं कि जब देवताओं ने निवास किया, तब उनकी स्त्रियों ने यहां पर रहकर भोजन की व्यवस्था की थी , भोजन के लिए जल की आवश्यकता हुई तो यहां पर देवताओं ने जल को उत्पन्न किया था, तभी से इस स्थान पर हमेशा जल बहता रहता है. वर्षों से इस जगह पर साधु-संत तपस्या में लीन है.

आज भी यहां लंबी-लंबी जटाओं और वर्षों से तपस्या करते हुए साधु प्रभु श्री राम की भक्ति में लीन है. ऐसे एक साधु यहां पर भगवान श्री राम का स्मरण करते हुए आज भी मौजूद है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Chitrakoot News, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : February 10, 2023, 19:17 IST

[ad_2]

Source link