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सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या. सनातन धर्म में हरतालिका तीज का बड़ा महत्व है. कजरी और हरियाली तीज के बाद अब सनातन धर्म की महिलाएं हरतालिका तीज के व्रत की तैयारी में हैं. यह व्रत भी अन्य दोनों व्रत के समान ही महत्व रखता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा आराधना की जाती है.

इस साल यह पर्व कल यानी 18 सितंबर को मनाया जाएगा. हरियाली तीज और हरतालिका तीज में लगभग 1 महीने का अंतर रहता है. पौराणिक मान्यता के मुताबिक,  माता पार्वती ने भगवान शंकर को अपना पति मानकर हरतालिका तीज का व्रत रखा था. मान्यता है कि एक बार भगवान शिव की तपस्या में लीन पार्वती को देखकर उनकी सहेलियों ने उनका हरण कर लिया और उन्हें जंगलों में ले गई. हरण यानी हरित का अर्थ है हरण करना और तालिका का अर्थ होता है सखी, इसलिए इस व्रत को हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है.

माता पार्वती ने किया था हरतालिका तीज का व्रतअयोध्या के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हरतालिका तीज का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने किया था. माता पार्वती ने भगवान शिव की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा आराधना की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें दर्शन दिया. इसके बाद माता पार्वती को विवाह करने का वचन भी दिया. हरतालिका तीज का व्रत करने से सभी प्रकार की मनोकामना यथाशीघ्र पूरी हो जाती है.

जानिए क्या है महत्वहरतालिका तीज का व्रत करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस दिन विवाहित महिलाएं अपनी पति की दीर्घायु की कामना के लिए व्रत रखती हैं तो वहीं कुंवारी कन्याएं यह व्रत सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए करती हैं.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18 LOCAL किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)
.Tags: Ayodhya News, Hartalika Teej, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : September 17, 2023, 20:42 IST

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