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शिवहरि दीक्षित/हरदोईः हरदोई में लगभग 400 वर्ष पुराने प्राचीन धार्मिक स्थल बाबा लंगड़े दास के नाम से प्रसिद्ध है. इस धार्मिक स्थल के प्रबंधक ऋतुपाल सिंह बताते हैं कि लगभग 400 वर्ष पहले एक बड़े से मिट्टी की टीले पर एक महात्मा कुटिया बना कर रहते थे. जो कि सिद्ध पुरुष भी थे.

वह बताते हैं कि इस स्थान से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर गंगा नदी बहती है. जहां पर बाबा प्रातः काल उठ कर स्नान करके आते थे. कुछ समय बीतने के बाद बाबा को गंगा मां से स्वप्न दिया कि अब तुम्हें स्नान के लिए इतनी दूर आने की जरूरत नहीं है. जहां तुम्हारा निवास है वहीं जलाशय में स्नान मात्र से तुम्हें गंगा नहाने का पुण्य मिलेगा.

बाबा लंगड़े दास स्थान के प्रबंधक ऋतुपाल सिंह के अनुसार बाबा जंगल में विचरण कर रहे थे. वहीं पर एक बहेलिया शिकार की तलाश में धनुष की कमान पर तीर चढ़ाए बैठा था. बाबा के कदमों की आहट के चलते बहेलिए ने तीर छोंड़ दिया जो कि बाबा के पैर में लगा. जिससे वह घायल हो गए और एक तीर उनके बाबा लंगड़े दास बनने की वजह बन गई

बाबा लंगड़े दास भेष बदलने में थे सक्षमप्रबंधक ऋतुपाल सिंह बताते हैं कि बाबा लंगड़े दास अपना भेष बदलने में सक्षम थे और वह अक्सर हिरण के रूप में जंगल मे विचरण किया करते थे. इसी वजह से शिकार की तलाश में बैठे बहेलिए ने हिरण समझ बाबा पर तीर छोड़ दिया जो कि बाबा के पैर में लगा और वह एक पैर से लंगड़े हो गए. बाबा के भेष बदलना ही बाबा लंगड़े दास बनने की वजह बन गई.

हनुमान जी की मिट्टी की मूर्ति की स्थापना कीहरदोई के कछौना कोतवाली के ठीक पीछे काफी ऊंचाई पर बने प्राचीन धार्मिक स्थल बाबा लंगड़े दास के नाम से प्रसिद्ध है. प्रबंधक ऋतुपाल सिंह बताते हैं कि लगभग 400 वर्ष पहले यहां चारों तरफ जंगल ही था. वहीं जहां बाबा कुटी बना कर रहते थे. उसके दो तरफ बड़े जलाशय थे. जो आज भी मौजूद हैं. वह बताते हैं कि इस स्थान पर बाबा लंगड़े दास ने हनुमान जी की एक मिट्टी की मूर्ति स्थापित की थी. जिसे सीधा रखने के लिए बांस के टुकड़ों का सहारा लिया गया था और यह मिट्टी की हनुमान जी की मूर्ति 400 वर्ष बाद भी वैसी की वैसी है जैसी थी.

स्थान पर होते रहते हैं मांगलिक व धार्मिक आयोजनबाबा लंगड़े दास स्थान के प्रबंधक ऋतुपाल सिंह का कहना है कि यहां पर भक्तों की मुरादें पूरी होने पर अक्सर धार्मिक आयोजन होते रहते हैं. वहीं यहां के स्थानीय लोगों के मांगलिक आयोजन जैसे मुंडन संस्कार आदि भी होते रहते हैं. वह बताते हैं इसी क्षेत्र में बाबा लंगड़े दास ने अपनी देह त्याग दी थी, जिनकी समाधि आज भी यहां मौजूद है.
.Tags: Dharma Aastha, Hardoi News, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : May 30, 2023, 13:26 IST

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