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यदि आप भारत में पैदा हुए हैं और 100 साल तक जिंदा रहने की इच्छा रखते हैं तो बहुत ही आसानी से इसे पूरा कर सकते हैं. क्योंकि आपकी जींस की क्वालिटी बहुत अच्छी है. जी, हां वैज्ञानिकों ने भारतीयों की दीर्घायु का रहस्य उजागर कर दिया है. अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों के दो समूहों पर किए गए अध्ययन में ऐसे आनुवंशिक वैरिएंट्स की पहचान की गई है, जो न सिर्फ लंबी उम्र देते हैं, बल्कि सुरक्षा कवच का काम भी करते हैं.
यह अध्ययन मेडिकल जर्नल ‘मेडरेक्सिव’ में प्रकाशित हुआ है. अध्ययन के अनुसार, भारत के लोगों में 11 आनुवंशिक वैरिएंट्स मिले हैं जो असमय मौत के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों से बचाव करते हैं.
लंबी उम्र का राज
वैज्ञानिकों का कहना है कि लंबी आयु तय करने में आनुवंशिक कारक अहम भूमिका निभाते हैं. इंसान के जीवित व स्वस्थ रहने में आनुवंशिकी का असर 40 फीसदी तक होता है. 
साल 2000 से 2019 के बीच देश में प्रति व्यक्ति जीवन प्रत्याशा 62.1 से बढ़कर 70.8 वर्ष तक पहुंची है. हालांकि, केवल 0.4% आबादी ही 85 वर्ष की आयु तक पहुंच पा रही है. यह कहना गलत नहीं कि भारत में लंबी आयु वालों की आनुवंशिकी समझना अब भी चुनौती है.
अध्ययन में सामने आयी ये बातें
अध्ययन में 85 वर्ष या उससे अधिक आयु के 133 और 18-49 आयु वर्ग के 1,155 लोगों के सैंपल की जांच की गई. जिससे 11 आनुवंशिक वैरिएंट्स की पहचान की गई जो लंबी उम्र और बुजुर्गों के लिए सुरक्षा कवच का काम करते हैं. अध्ययन से पता चलता है कि युवाओं की तुलना में दीर्घायु लोगों में गंभीर बीमारियों के जेनेटिक तत्व कम सक्रिय रहते हैं.
असमय मौत से बचाते हैं जेनेटिक वेरिएंट
शोध के दौरान जिन 11 वैरिएंट्स का पता चला है वह धीमी धड़कन, छोटे कद, सिजोफ्रेनिया, तनाव, विक्षिप्तता, पित्त संबंधी विकार, हार्ट अटैक, रक्त का थक्का जमने जैसी स्वास्थ्य परेशानियों से बचाने का काम करते हैं. जिससे असमय मौत का जोखिम बहुत कम हो जाता है. 
उम्र को बढ़ाने में मिलेगी मदद
यह अध्ययन भारतीयों की दीर्घायु के रहस्यों को समझने में महत्वपूर्ण योगदान देता है. यह जानकारी भविष्य में लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन जीने के लिए नई रणनीतियां विकसित करने में मददगार हो सकती है.
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