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रिपोर्ट- सर्वेश श्रीवास्तव
अयोध्या. हिंदू धर्म में चैत्र और शारदीय नवरात्रि  (Navratri) का काफी ज्यादा महत्व होता है, लेकिन माघ और आषाढ़ के महीने में गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) भी आती है. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की गुप्त तरीके से पूजा उपासना की जाती है. गुरुवार से सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली गुप्त नवरात्रि शुरू हो गई हैं. जगतगुरु राम दिनेशाचार्य बताते हैं कि 30 साल बाद गुप्त नवरात्रि मूल नक्षत्र में पड़ी हैं, जिसमें पूजा पाठ और साधना करने से बहुत मनोवांछित फल होता है. विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान गुप्त नवरात्रि में किए जाते हैं.
वहीं, आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के साथ आरंभ होकर गुप्त नवरात्रि का समापन 9 जुलाई को दशमी तिथि के साथ होगा. गुप्त नवरात्रि की शुरुआत शुभ संयोग में हो रही है. पहले दिन ही एक साथ गुरु पुष्य योग,सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं. इसके साथ ही पुष्प नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है. जगतगुरु ने बताया कि जातक अपनी राशि के अनुसार गुप्त नवरात्रि में मंत्रों का जाप करके सुख और शांति की समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं.
जानिए क्या होता है गुप्त नवरात्रिजगतगुरु राम दिनेशाचार्य ने बताया कि गुप्त का अर्थ है जो बहुत ज्यादा प्रदर्शित ना किया जाए.अंतर्मन की चेतना को जागृत करने के लिए गुप्त नवरात्रि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना का विशेष महत्व होता है.इन नौ दिनों में मां दुर्गा के सात 10 महाविद्याओं की पूजा करने के साथ नियमित रूप से हवन करना बहुत ही लाभकारी होता है. जगतगुरु ने बताया कि गुप्त नवरात्रि 30 वर्ष के बाद ऐसे मुहूर्त में पड़ रही है, जिससे जिस भी लग्न में मनुष्य का जन्म होता है इसमें पूजा-पाठ और साधना करते हैं तो यह बहुत ही फलदाई होता है. विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान गुप्त नवरात्र में किए जाते हैं.पुष्प नक्षत्र जो नक्षत्रों का राजा कहा गया है यह सभी गुप्त नवरात्रि में आते हैं.इस दिन भजन साधन करने से यह फलदाई होता है. इसलिए गुप्त नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. गुप्त नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत लाभकारी होता है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Ayodhya News, NavratriFIRST PUBLISHED : July 01, 2022, 13:39 IST

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