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Gaganyaan mission : इसरो ने भारत के पहले मानवयुक्त स्पेस मिशन के लिए शनिवार को पहला सफल परीक्षण किया. इसमें देश भर के सैकड़ों वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का योगदान रहा. जिसमें एक नाम उत्तर प्रदेश के एक वैज्ञानिक का भी है. इस वैज्ञानिक का नाम योगेश रत्न है. वह यूपी के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार बांदा के रहने वाले हैं. मानवयान के पहले यान वाले रॉकेट परीक्षण यान डी-1 में योगेश रत्न का अहम योगदान रहा है.

योगेश रत्न ने बांदा से इसरो तक का सफर सरकारी स्कूल में पढ़कर तय किया है. वह फिलहाल इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के तिरुवनंतपुरम स्थित गुणत्ता आश्वासन विभाग में पिछले 14 साल से काम कर रहे हैं. वह रॉकेट के ठोस प्रणोदक मोटर बनाने और टेस्टिंग के लिए उत्तरदायी हैं. साथ ही सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के लॉन्चिंग पैड पर रॉकेट के विभिन्न हिस्सों को जोड़कर लॉन्चिंग के लिए तैयार करने में भी इनकी अहम भूमिका होती है.

ऐसे तय किया बांदा से इसरो तक का सफर

योगेश रत्न बांदा जिले के शिवरामपुर गांव के निवास हैं. उनके पिता रामशंकर साहू एडीओ पंचायत थे. योगेश की 10वीं तक की पढ़ाई सेठ राधाक्रिश्न पोद्दार इंटर कॉलेज चित्रकूट से और 12वीं की चित्रकूट इंटर कॉलेज से हुई है. इसके बाद उन्होंने बुंदेलखंड इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी झांसी से बीटेक किया. योगेश ने इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन के बाद आईआईटी खड़गपुर से एमटेक किया. इसके बाद कुछ समय तक जामनगर में रिलायंस में जॉब की. साल 2008 में उन्होंने इसरो ज्वाइन कर लिया.

गगनयान ही नहीं, इन मिशन में भी रहे हैं शामिल

योगेशन रत्न गगनयान ही नहीं, इससे पहले भी कई अहम मिशन में शामिल रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार वह अब तक 40 पीएसएलवी, 3 एलवीएम, 2 एसएसए वी सहित कई रॉकेट निर्माण में शामिल रहे. जिसका इस्तेमाल चंद्रयान-2, मंगलयान वन-1 वेब सहित कई मिशन में किया जा चुका है.

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.Tags: Gaganyaan mission, ISRO, Success StoryFIRST PUBLISHED : October 21, 2023, 21:41 IST

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