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मेरठ. उत्तर प्रदेश के मेरठ (Meerut) में किसान मज़दूर संगठन के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में किसानों ने अपनी आवाज़ बुलंद की. इन किसानों का कहना है कि जो क़ानून देश की संसद में बना हो. वो रद्द नहीं होना चाहिए क्योंकि ये गलत परम्परा शुरू हो जाएगी. किसान मज़दूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर पूरन सिंह का कहना है कि कृषि क़ानून में संशोधन हो न कि वो रद्द हो.
उन्होंने कहा कि देश की संसद में जो कानून पास हुआ वो रद्द नहीं होना चाहिए. ठाकुर पूरन सिंह ने राकेश टिकैत को स्वार्थी कहा, साथ ही मांग की कि उन्हें सीएम से मिलकर अपनी बात रखने का समय दिया जाए. इन किसानों ने 2 अक्टूबर को मेरठ कमिश्रनरी पार्क पर महापंचायत का भी एलान किया.
सहारनपुर कमिश्रनरी से पदयात्रा करते हुए ये किसान दिल्ली राजघाट के लिए रवाना हुए थे. लेकिन अचानक उनका प्रोग्राम बदल गया और वो मेरठ कमिश्रनरी चौराहे पर ही धरना देने लगे. अपनी 20 सूत्रीय मांगों को लेकर भी ये संगठन अपनी आवाज़ बुलंद कर रहा है. इन किसानों का कहना है कि उनके सभी ऋण माफ किए जाएं. गन्ने का समर्थन मूल्य चार सौ पचास रुपए प्रति क्विंटल किया जाए. गन्ना का बकाया ब्याज के साथ दिया जाए. किसानों को सभी कृषि यंत्र बिना टैक्स के दिए जाएं.
किसानों की सिंचाई के लिए बिजली फ्री की जाए. प्रदेश सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी लिखकर दे. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुरूप किसान आयोग का गठन किया जाए. बुज़ुर्ग किसानों को पचास वर्ष की आयु के पश्चात 6000 रुपए किसान मज़दूर सहायता पेंशन दी जाए. वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना हो. वेस्ट यूपी में एम्स की स्थापना हो. बागपत शुगर मिल का दोहरीकरण हो.
घरेलू बिजली बिलों को दो सौ रुपए प्रति माह की दर से प्रारम्भ करें. स्नातक बेरोज़गार तो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पंद्रह हज़ार रुपए दिए जाएं. कुल बीस सूत्रीय मांगों को लेकर ये किसान मुख्यमंत्री से मिलना चाहते हैं. किसानों का कहना है उनकी अगली रणनीति का खुलासा दो अक्टूबर को होगा जब मेरठ कमिश्रनरी पर महापंचायत होगी.पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.

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