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हाइलाइट्सछात्रसंघ आंदोलन से निकली डॉ ऋचा सिंह बेहद मजबूत इरादों वाली एक संघर्षशील महिला हैमध्यमवर्गीय परिवार से निकलकर ऋचा सिंह ने अपने दम पर राजनीति में जगह बनाई प्रयागराज. रामचरित मानस को लेकर उठे विवाद के बाद समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या का विरोध करने पर इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की पहली निर्वाचित महिला छात्रसंघ अध्यक्ष व सपा की पूर्व प्रदेश प्रवक्ता डॉ ऋचा सिंह को समाजवादी पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. छात्रसंघ आंदोलन से निकली डॉ ऋचा सिंह बेहद मजबूत इरादों वाली एक संघर्षशील महिला है. मध्यमवर्गीय परिवार से निकलकर ऋचा सिंह ने अपने दम पर राजनीति में जगह बनाई है. ऋचा सिंह समाजवादी पार्टी से दो बार प्रयागराज की शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ चुकी हैं. यह सीट कभी बाहुबली अतीक अहमद के नाम से जानी जाती थी. लेकिन 2017 और 2022 में इस सीट से चुनाव लड़ चुकी डॉ ऋचा सिंह लगातार जनता के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाए रहीं और उन्हें 2017 से ज्यादा 2022 में वोट भी मिले. हालांकि उन्हें दोनों बार हार का सामना करना पड़ा.

ऋचा सिंह राजपूत परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता वीपी सिंह बिजली विभाग में जेई के पद से रिटायर हुए हैं. प्रयागराज के गोविंदपुर शिवपुरी कॉलोनी में ऋचा सिंह का जन्म हुआ. ऋचा सिंह चार बहनों और दो भाईयों में सबसे छोटी हैं. ऋचा सिंह की मां शांति सिंह घरेलू महिला थी, जिनका निधन एक जनवरी 2021 को हो गया.

एकेडमिक कैरियरऋचा सिंह का एकेडमिक कैरियर बेहद शानदार रहा है. ऋचा सिंह ने प्रयागराज के डीपी गर्ल्स इंटर कॉलेज से इंटर की परीक्षा वर्ष 2005 में उत्तीर्ण की. जिसके बाद 2008 में राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र विषय से जगत तरण डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद ऋचा सिंह ने इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और 2010 में अर्थशास्त्र विषय से परास्नातक की डिग्री हासिल की. 2011 में ऋचा सिंह ने बीएड किया, जबकि 2012-13 में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा से महिला अध्ययन में एमफिल की डिग्री हासिल की. इस बीच उन्होंने दो विषयों अर्थशास्त्र और महिला अध्ययन विषय में नेट क्वालीफाई किया. ऋचा सिंह 2014 और 15 में इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीमेंस स्टडीज सेंटर में रिसर्च अस्टिटेंट के रूप में नौकरी की. लेकिन ऋचा सिंह को यह नौकरी रास नहीं आई और उन्होंने 15 में पीएचडी में दाखिला ले लिया. ऋचा सिंह ने 2020 में अर्थशास्त्र विषय में डेवलपमेंटल स्टडीज विषय में पीएचडी की डिग्री हासिल की. ऋचा सिंह के नाम कई अन्य एकेडमिक उपलब्धियां दर्ज हैं. ऋचा सिंह को 2017 में ब्रिटिश हाई कमिशन ने ब्रिटिश पार्लियामेंट की ओर से 12 दिवसीय स्टडी टूर पर आमंत्रित किया था, जिसमें देश भर के 12 छात्रों को बुलाया गया था. लंदन में आयोजित हुए कार्यक्रम में ऋचा सिंह को भी बोलने का मौका मिला. इसके अलावा 2018 में स्विट्जरलैंड में स्टूडेंट पॉलिटिक्स पर भी बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था. ऋचा सिंह वर्तमान में आईसीएसआर की पोस्ट डॉक्टोरल फैलोशिप कर रही हैं.

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2015 में छात्र राजनीति की शुरुआत की2015 में रिसर्च में इनरोल्ड होने के बाद ऋचा सिंह ने इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ का चुनाव लड़ा. ऋचा सिंह फ्रेंड्स यूनियन के बैनर तले चुनाव मैदान में उतरी थी. दरअसल, फ्रेंड्स यूनियन छात्रों द्वारा बनाया गया एक संगठन था. लेकिन समाजवादी छात्र सभा की ओर से अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अजीत यादव का पर्चा खारिज हो गया था, जिसके बाद सपा ने शर्तों के साथ ऋचा सिंह को समर्थन दे दिया और इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव में ऋचा सिंह ने प्रतियोगी छात्र मोर्चा के प्रत्याशी रजनीश सिंह रिशु को 11 वोटों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की और इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली महिला छात्रसंघ अध्यक्ष निर्वाचित हो गई.

सीएम योगी आदित्यनाथ का विरोध कर सुर्खियों में आई थी ऋचा सिंहऋचा सिंह पहली बार सुर्खियों में तब आईं जब छात्र संघ चुनाव होने के बाद 2016 में छात्र संघ का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित होना था. 2015 के छात्रसंघ चुनाव अध्यक्ष ऋचा सिंह को छोड़कर पूरा पैनल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी का जीता था. जिसमें सिद्धार्थ सिंह गोलू महामंत्री निर्वाचित हुए थे. एबीवीपी के जीते पैनल ने गोरखपुर से तत्कालीन बीजेपी सांसद और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया था. लेकिन ऋचा सिंह ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हालांकि वह यह कह रही थी कि पहली निर्वाचित महिला छात्र संघ अध्यक्ष को बाईपास कर छात्र संघ का शपथग्रहण कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकता है. लेकिन इसके पीछे कारण यह भी था कि वे समाजवादी पार्टी के समर्थन से चुनाव जीती थीं और वह नहीं चाहती थी कि योगी आदित्यनाथ के हाथों व शपथ ग्रहण करें. इस कार्यक्रम को लेकर काफी हो हल्ला मचा और गोरखपुर के तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा. इस घटना से इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की पहली महिला छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह सुर्खियों में आ गई.

सपा संरक्षक नेताजी मुलायम सिंह यादव ने ऋचा को बुलाकर पार्टी ज्वाइन कराई थीऋचा सिंह के संघर्ष को देखते हुए समाजवादी पार्टी के संरक्षक नेताजी कहे जाने वाले मुलायम सिंह ने दिल्ली में बुलाकर ऋचा सिंह से मुलाकात की. उन्होंने ही ऋचा सिंह को समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने के लिए कहा. जिसके बाद जनवरी 2017 में रऋचा सिंह ने समाजवादी पार्टी को ज्वाइन कर लिया. यहीं से ऋचा सिंह के सियासी सफर की भी शुरुआत हो गई. ऋचा सिंह को समाजवादी पार्टी ने प्रदेश प्रवक्ता की भी जिम्मेदारी थी जिस पर उन्होंने मजबूती से काम किया.

2017 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ाऋचा सिंह पहली बार प्रयागराज की शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से 2017 में चुनाव मैदान में उतरी. इस सीट पर उनका मुकाबला देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती सिद्धार्थ नाथ सिंह से हुआ जो कि बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने दिल्ली से पहुंचे थे. उन्होंने खुद को जहां देश के प्रधान पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की लीगेसी का बताया था, वहीं खुद को पीएम मोदी का एक्सपेरिमेंटल बॉय भी बताया था. बीजेपी की लहर में ऋचा सिंह को हार का सामना करना पड़ा. 2017 के चुनाव में सिद्धार्थ नाथ सिंह को 85518 यानी 43.4 फ़ीसदी वोट मिले थे. जबकि ऋचा सिंह को 60182 यानी 30.54 फीसदी वोटों से संतोष करना पड़ा. हालांकि इस हार के बाद भी ऋचा सिंह जनता के बीच बनी रही. उनकी तमाम सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी बनी रही.

2022 के चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ाहालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में वह मोड़ भी आया, जबकि शहर पश्चिमी से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही ऋचा सिंह का टिकट सपा ने काट दिया. सपा ने टिकट स्वामी प्रसाद मौर्या के करीबी अमरनाथ मौर्या को दे दिया. शायद यहीं से स्वामी प्रसाद मौर्या और ऋचा सिंह के बीच मतभेद भी शुरू हो गए थे. अमरनाथ मौर्या के पर्चा दाखिल करने के अगले दिन ऋचा सिंह ने भी पर्चा दाखिल कर दिया. अंत में ऋचा सिंह ने ही 2022 का चुनाव लड़ा. हालांकि इस चुनाव में भी राशन और शासन के फैक्टर ने काम किया. खास तौर पर शहर पश्चिमी विधानसभा सीट जो कि बाहुबली अतीक अहमद के नाम से जानी जाती थी यहां पर बुलडोजर की कार्यवाही से बीजेपी को फायदा मिला और एक बार फिर से इसी पर बीजेपी के सिद्धार्थ नाथ सिंह विजयी हुए. लेकिन इसके बावजूद 2022 में ऋचा सिंह को दो 2017 से ज्यादा वोट मिले. 2022 के विधानसभा चुनाव में सिद्धार्थ नाथ सिंह रिचा सिंह से लगभग 15,000 ज्यादा वोटों के अंतर से जीते थे. रिचा सिंह को भी लगभग 90000 वोट मिले थे.

ऋचा सिंह के खिलाफ दर्ज मुकदमेलगभग 36 वर्षीत्र ऋचा सिंह के खिलाफ कुल 22 मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से ज्यादातर मुकदमे छात्र राजनीति, राजनीतिक आंदोलनों और चुनाव में आचार संहिता उल्लंघन को लेकर दर्ज कराए गए हैं. हालांकि दिसंबर 2019 में ऋचा सिंह के खिलाफ रंगदारी का भी मुकदमा कर्नलगंज थाने में दर्ज हुआ था. यह मुकदमा यूनिवर्सिटी में हॉस्टल का निर्माण कर रहे एक ठेकेदार संजय कपूर की ओर से दर्ज कराया गया था. यह मुकदमा आईपीसी की धारा 386 और 506 के तहत दर्ज कराया गया था हालांकि अब इस मामले में एफआर लग चुकी है. 2022 के विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में ऋचा सिंह ने अपनी चल और अचल संपत्ति 3,770,000 बताई. जबकि कुल आय 3,50,000 बताया है.

ऋचा सिंह कई जन आंदोलनों में शामिल रहींछात्र आंदोलन से निकली ऋचा सिंह हमेशा आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर रतन लाल हांगलू के खिलाफ भी ऋचा सिंह ने अभियान चलाया. ऋचा सिंह ने कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हांगलू को महिला विरोधी बताते हुए उन्हें हटाने के लिए 10 दिन तक वीमेंस हास्टल के बाहर छात्राओं के साथ धरना भी दिया था. इसके साथ ही दिसंबर 2019 में लखनऊ जाकर राज्यपाल से उन्होंने मुलाकात की थी. जिसके बाद एक जनवरी 2020 को इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हांगलू को अपने पद से हटना पड़ा था. इसके अलावा यूनाइटेड मेडिसिटी में एक बच्ची खुशी मिश्रा के गलत ऑपरेशन से मौत के मामले में ऋचा सिंह ने बड़ा आंदोलन खड़ा किया. दलित बस्ती चक निरातुल में बुलडोजर कार्यवाही का भी विरोध किया था. प्रयागराज के एक प्राइवेट गर्ल्स हॉस्टल में हिडन कैमरा लगाए जाने के मामले में भी ऋचा सिंह ने मुखर होकर लड़ाई लड़ी. इसके अलावा योगी सरकार द्वारा बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद और अन्य माफियाओं के खिलाफ की गई बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ भी ऋचा सिंह सामने आई थी. उन्होंने योगी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई  का विरोध किया था.  हालांकि इस मामले में ऋचा सिंह को कोई सराहना तो नहीं मिली, लेकिन उनकी किरकिरी जरूर हुई थी.

बहरहाल समाजवादी पार्टी से निष्कासित किए जाने के बाद डॉक्टर ऋचा सिंह समाजवादी पार्टी और स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. ऋचा सिंह स्वामी प्रसाद मौर्या को समाजवादी पार्टी का भस्मासुर बता रही हैं, तो बगैर कारण बताए पार्टी से निष्कासित किए जाने पर भी सवाल खड़े कर रही हैं. लगातार ट्वीट कर अपना विरोध भी जता रही हैं. उन्होंने ट्वीट कर अपनी फर्जी चैट वायरल किए जाने की पुलिस से शिकायत की है. लोगों से मिल रही धमकियों को लेकर शासन और प्रशासन से सुरक्षा की भी गुहार लगाई है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Prayagraj News, UP latest newsFIRST PUBLISHED : February 20, 2023, 07:02 IST

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