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मेरठ: सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा बड़ा होकर खूब सफल हो (Success Tips) उसे हर क्षेत्र में हमेशा सफलता हासिल हो. बच्चों की परीक्षाओं के साथ ही पेरेंट्स की परीक्षा भी शुरू हो जाती है. अपने बच्चों की खुशी के लिए उन्हें कई तरह के त्याग करने के साथ ही हर स्तर पर अपनी परीक्षा भी देनी पड़ती है. लेकिन इसके अलावा भी कुछ है, जो सभी माता-पिता को जरूर करना चाहिए. बच्चों को मोटिवेट करके दोनों की टेंशन कुछ हद तक कम हो सकती है.बदलते दौर की बात करें तो परीक्षाओं के दौरान अभिभावक बच्चों से अच्छे नंबर की उम्मीद करते हैं. इसलिए वह कई बार जाने अनजाने में बच्चों पर दबाव भी बनाने लगते हैं. लेकिन कहीं ना कहीं यही दवाब अब बच्चों के लिए घातक भी साबित हो रहा है. जी हां अच्छे नंबर लाने की जुगत में बच्चे इतने डिप्रेशन में चले जाते हैं और परिणाम से संतुष्ट ना होने से वह गलत कदम से उठा लेते हैं.चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजय कुमार ने News18local खास बातचीत करते हुए कहा कि जिस तरीके से अभिभावक बच्चों को मोबाइल दे देते हैं. उससे अभिभावक अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं. बच्चे भी मोबाइल की दुनिया में ऐसे खो जाते हैं कि उनका साथी मोबाइल ही बन जाता है. लेकिन जीवन में जब वह किसी बड़ी समस्या में होते हैं तो वह अपने आप को अकेला पाते हैं. उस स्थिति में उनकी मानसिक स्थिति इतनी कमजोर हो जाती है. कि वह फैसला लेने में भी सक्षम नहीं होते. ऐसे वक्त में अभिभावक ही उनका सहारा बन सकते हैं.मेरठ में हो चुकी है कई घटनाएंदरअसल, मेरठ में पिछले एक साल में ही कई घटनाएं ऐसी हो चुकी है. जिसमें स्टूडेंट द्वारा आत्महत्या जैसा कदम भी उठाया जा चुका है. इसी सप्ताह की अगर हम बात करें तो मेरठ की एक 12वीं की छात्रा ने प्री बोर्ड परीक्षा में कम नंबर आने के कारण अपनी बिल्डिंग से छलांग लगा दी थी. जिससे उसकी मौत हो गई. इतना ही नहीं पहले मेडिकल की छात्रा द्वारा भी फांसी लगा ली गई थी. दसवीं के छात्र को गत वर्ष नंबर कम आए तो वह डर से चुपचाप घर से अकेले में चला गया था. ऐसी अनेक घटनाएं हो चुकी है.नंबर नहीं बच्चों के स्किल पर करें फोकसप्रोफेसर संजय कुमार का कहना है कि माता-पिता बच्चों के अधिक नंबर लाने से ज्यादा बच्चों के स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान दें. अगर उसका स्किल मजबूत होगा. तो वह अपने भविष्य को संवार सकते हैं. वहीं स्किल ही कमजोर हो तो चाहे कितना ही अच्छे नंबर क्यों नहीं ले आए. वह किसी काम के नहीं है.शिक्षकों की भी जिम्मेदारी अहमस्कूल के शिक्षकों की अहम जिम्मेदारी होती है. वह बच्चे पर ज्यादा ध्यान दें. क्योंकि एक शिक्षक सबसे अच्छा जानता है कि उसका विद्यार्थी किस चीज में कमजोर है. अगर शुरू से ही शिक्षक उसका मान मनोबल बढ़ाते हुए उस सब्जेक्ट में तैयारी कराएंगे. तो बच्चा मनोवैज्ञानिक तौर पर मजबूत होगा.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : January 14, 2023, 10:54 IST

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