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Diabetes warning signs: डायबिटीज एक बेहद की खतरनाक बीमारी है, जो धीरे-धीरे आपको मौत के मुंह में ढकेल देता है और पता भी नहीं चलता. इस बीमारी में शरीर में ब्लड शुगर लेवल हाई होता है, क्योंकि शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता या प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता. डायबिटीज पैरों सहित कई अंगों को प्रभावित करने वाले विभिन्न लक्षणों को जन्म दे सकता है. एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के दृष्टिकोण से, समय पर पता चलने और उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए डायबिटीज से संबंधित पैर की जटिलताओं के लक्षणों को पहचानना और समझना महत्वपूर्ण है. आइए जातने हैं कि पैरों में किस तरह डायबिटीज के चेतावनी संकेत मिलते हैं.
डायबिटीज के चेतावनी संकेत
झुनझुनी महसूस होनामधुमेह नस के डैमज होने का कारण बन सकता है, जिससे पैरों में पेरीफेरल  न्यूरोपैथी (peripheral neuropathy) हो सकती है. लक्षणों में झुनझुनी, सुन्नता, जलन और सेंसिटिविटी की हानि शामिल हैं. मरीजों को अपने पैरों पर चोट या घावों का पता लगाने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है, जिससे संक्रमण और अल्सर हो सकता है.
खराब सर्कुलेशनहाई ब्लड शुगर लेवल ब्लस वैसेल्स को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे पैरों में खून का संचार खराब हो सकता है. लक्षणों में पैर में ऐंठन, दर्द, कमजोरी और धीमी गति से ठीक होने वाले घाव शामिल हैं. यदि इलाज नहीं किया जाता है, तो पीएडी जैसी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है.
पैरों में छालेन्यूरोपैथी और खराब सर्कुलेशन के परिणामस्वरूप पैर के अल्सर हो सकते हैं. यह खुले घाव होते हैं जो धीमी गति से ठीक होते हैं और इनमें संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है. इन अल्सर के गंभीर परिणामों को रोकने के लिए घाव की सावधानीपूर्वक देखभाल और प्रबंधन की आवश्यकता होती है.
लाल स्किन और सूजनकमजोर हड्डियों और जोड़ों के डैमेज होने के कारण यह स्थिति पैरों में फ्रैक्चर और डिसलोकेशन का खतरा बढ़ा देती है. लक्षणों में पैर या टखने की स्किन लाल पड़ जाना, सूजन और विकृति शामिल हैं.
त्वचा का बदलनामधुमेह के कारण त्वचा में परिवर्तन हो सकता है, जैसे सूखापन, दरारें और फंगल या जीवाणु संक्रमण का अधिक खतरा.
रेस्टलेस लेग सिंड्रोमवैसे तो डायबिटीज और रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के बीच सटीक संबंध पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन कुछ अध्ययन एक लिंक का सुझाव देते हैं. रेस्टलेस लेग सिंड्रोम वाले मरीजों को अपने पैरों में असुविधाजनक सेन्सेशन का अनुभव होता है, जो अक्सर हिलने-डुलने से राहत मिलती है. डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर लेवल की निगरानी करना, हेल्दी डाइट का पालन करना, नियमित शारीरिक गतिविधि में संलग्न होना और अपने डॉक्टर द्वारा निर्देशित निर्धारित दवाएं या इंसुलिन लेना आवश्यक है.

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