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सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या. सनातन धर्म में दीपावली और धनतेरस का बड़ा अधिक महत्व माना जाता है. धनतेरस का पर्व हिंदू पंचांग के मुताबिक हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. कई जगहों पर धनतेरस को धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक धनतेरस के दिन प्रदोष काल में माता लक्ष्मी और गणेश के साथ कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा आराधना करने का विधान है. कहा जाता है कि इसी दिन भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति भी हुई थी. धनतेरस के तिथि को धन्वंतरि जयंती के नाम से भी मनाया जाता है.

अयोध्या के ज्योतिष पंडित हल्की राम की माने तो हिंदू पंचांग के मुताबिक हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष धनतेरस तिथि की शुरुआत यानी कि कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 10 नवंबर दोपहर 12:35 से प्रारंभ होकर अगले दिन 11 नवंबर दोपहर 1:57 तक रहेगा तो वहीं त्रयोदशी तिथि का प्रदोष काल 10 नवंबर को 5:30 से 8 बजकर 8 मिनट तक रहेगा. हालांकि धनतेरस में हमेशा पूजा प्रदोष काल में ही किया जाता है. 10 नवंबर को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. 11 नवंबर को प्रदोष का मुहूर्त नहीं है.

ये है धनतेरस का शुभ मुहूर्तहालांकि, ज्योतिष गणना के मुताबिक 10 नवंबर को धनतेरस की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5:45 से शुरू होकर 7:43 तक रहेगा. इस दिन धनतेरस की पूजा के लिए 1 घंटे 56 मिनट का समय मिलेगा. इस मुहूर्त में अगर आप लक्ष्मी गणेश कुबेर श्री यंत्र आदि की पूजा आराधना करते हैं तो मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी.

धनतेरस का महत्वधार्मिक मान्यता के मुताबिक धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी कुबेर और गणेश जी की पूजा आराधना करने से धन वैभव और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है. इसके साथ ही इस दिन भगवान धन्वंतरि की भी पूजा आराधना का विधान है. यह आयुर्वेद के देवता कहे जाते हैं. अगर आप इस दिन लक्ष्मी गणेश के साथ भगवान धन्वंतरि की भी पूजा आराधना करते हैं तो उत्तम स्वास्थ्य का शुभ फल आपको प्राप्त होगा.

नोट: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष के मुताबिक है न्यूज़ 18 इसकी पुष्टि नहीं करता है.
.Tags: Ayodhya News, Dhanteras, Local18, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : October 20, 2023, 21:31 IST

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