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रजत भट्ट. गोरखपुर में मौजूद गोरखनाथ मठ शहर में आए लोग, अगर घूमने के लिए किसी जगह को प्राथमिकता देते है, तो सबसे पहले होता है गोरखनाथ मंदिर. शहर की सभ्यता संस्कृति और अपने प्राचीनतम इतिहास को समेटे हुए यह मंदिर गोरखपुर रेलवे स्टेशन से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां पहुंचने के बाद आपको मंदिर में हर और भगवा ओढ़े योगी मंत्रो का उच्चारण करते हुए सुनाई देगा. वहीं गेट से ही लड्डू के दुकान की शुरुआत हो जाती है. यहां से लड्डू खरीद कर लोग मंदिर में अंदर जाकर गुरु गोरखनाथ को चढ़ाते हैं और फिर वही प्रसाद ग्रहण करते हैं.

गोरखपुर में मौजूद गोरखनाथ मंदिर नाथ संप्रदाय की पहचान है. शहर में पहुंचते ही आप को तमाम मंदिर दिखेगे जहां नारंगी या भगवा कुर्ता पजामा पहनकर पुजारी पूजा पाठ करते हैं. लेकिन गोरखनाथ मंदिर में पहुंचने के बाद यहां के योगी को देखते ही आप नाथ संप्रदाय की पहचान कर सकेंगे. यहां पर मौजूद हर योगी के कान में कुंडल होता है और यह अनिवार्य है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसी मठ के मठाधीश के रूप में जाने जाते हैं. उनके कानों में भी कुंडल देखने को मिलता है. नाथ संप्रदाय की पुरानी परंपरा और पहचान इस मंदिर से की जाती रही है.

कान में कुंडल है योगी की पहचानकहा जाता है ‘शिव है तो योग है’, ‘योग है तो योगी है’, ‘योगी है तो शक्तियां है’ और इन्हीं शक्तियों से शुरू हुआ नाथ पंथ. इस पंथ का भगवान शिव से गहरा जुड़ाव है और कहा जाता है गुरु गोरखनाथ भी भगवान शिव का ही अवतार है. गोरखनाथ मंदिर में पहुंचने के बाद वहां के पुजारी योगी सोमनाथ बताते हैं कि, योगी बनने के लिए कानों में कुंडल होना सबसे जरूरी है. लेकिन योगी के कानों में कुंडल के साथ ऊपर से नीचे तक कान भी काटे रहते हैं और कानों में बड़े-बड़े छेद रहते हैं.

कान छेदने की प्रक्रिया सबसे खासयोगी सोमनाथ बताते हैं कि, नाथ बनने के लिए कान छेदने की प्रक्रिया सबसे खास होती है. वहीं कान फाड़ने का मतलब कष्ट सहन की शक्ति होती है. वहीं नाथ संप्रदाय में कान में बाली पहनने के लिए सबसे पहले एक खास पोजीशन में बैठना होता है. फिर कान को छेदा नहीं जाता बल्कि चीरा जाता है और चीरने के बाद उस पर भभूत लगा देते हैं.
.Tags: CM Yogi Aditya Nath, Gorakhnath Temple, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 26, 2023, 12:55 IST

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