[ad_1]

अभिषेक जायसवाल/वाराणसी. व्रत, पूजा और साधना के चार महीने को सनातन धर्म में चातुर्मास (Chaturmas 2023) के नाम से जाना जाता है. आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी के बीच के चार महीने को चातुर्मास कहते हैं. इस बार 29 जून से चातुर्मास की शुरुआत हो रही है. काशी के विद्वान और ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इन चार महीनों में व्रत, जप तप का विशेष फल मिलता है और भक्ति से शारीरिक और मानसिक स्थिति अच्छी होने के साथ ही वातावरण भी अच्छा होता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय के मुताबिक, साधु संत इन चार महीनों में कठिन नियमों का पालन करते हैं. वे पूरे दिन में सिर्फ एक ही बार भोजन करते हैं. इतना ही नहीं इन चार महीनों में बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए. इसके अलावा नदी की सीमा को भी पार नहीं करना चाहिए.

इन कामों की होती है मनाही

चातुर्मास के चार महीनों में शादी विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों की मनाही होती है. बता दें कि इन चार महीनों में जगत के पालन हार भगवान विष्णु शयनकक्ष में होते हैं.

आपके शहर से (वाराणसी)

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश

करें इन चीजों से परहेज

शास्त्रों में ऐसा विधान है कि चातुर्मास के चार महीनों में भगवान विष्णु को चढ़ाए जानेवाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दौरान आचार, बैगन, मूली, आंवला, मसूर, इमली का सेवन करने से बचना चाहिए.

इन चीजों का करें सेवन

चातुर्मास के चार महीनों में नारियल, केला, चावल, गेहूं, दही, गाय का दूध, आम, कटहल, समुद्री नमक का सेवन किया जा सकता है.

(नोट – ये बातें धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषी के कथन पर आधारित हैं. News 18 इनकी पुष्टि नहीं करता है.)
.Tags: Dharma Aastha, Local18, Religion 18, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : June 12, 2023, 21:53 IST

[ad_2]

Source link