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नई दिल्ली. केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने 15,000 करोड़ रुपये से अधिक के बाइक बोट घोटाले (Bike Boat Scam) की जांच के लिए एफआईआर दर्ज (FIR Register ) कर ली है. एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश स्थित बाइक बोट के मुख्य प्रबंध निदेशक संजय भाटी ने 14 अन्य लोगों के साथ मिलकर देशभर में निवेशकों से करीब 15,000 करोड़ रुपये ठगे. बाइक बोट घोटाले में आरोपी ने बाइक-टैक्सी सेवा की आड़ में बाइक बोट के नाम से आकर्षक निवेश योजनाएं बनाई थीं, जिसमें एक ग्राहक 1, 3, 5 या 7 बाइक में निवेश कर सकता था.
कंपनी ने कहा था कि निवेशक को मासिक किराया, ईएमआई, बोनस और बाइनरी संरचना में अतिरिक्त निवेशकों को जोड़ने पर और प्रोत्साहन का भुगतान किया जाएगा. कंपनी ने कथित तौर पर विभिन्न शहरों में फ्रेंचाइजी आवंटित की लेकिन इन शहरों में बाइक और टैक्सियों का संचालन मुश्किल से होता था. अगस्त 2017 में योजनाएं शुरू की गईं और निवेशकों, ग्राहकों से भुगतान लिया गया और उन्हें पुनर्भुगतान 2019 की शुरुआत तक जारी रहा.
शिकायतकर्ताओं पर अपनी शिकायतें वापस लेने का दबाव डालानवंबर 2018 में, कंपनी ने ई-बाइक के लिए इसी तरह की योजनाएं जारी कीं, जिसमें कहा गया था कि पेट्रोल बाइक पंजीकरण और संचालन के मुद्दों का सामना कर रही थीं. ई-बाइक की सदस्यता राशि नियमित पेट्रोल बाइक के लिए निवेश राशि से लगभग दोगुनी थी. निवेशकों की शिकायतें नोएडा एडमिनिस्ट्रेशन के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों के सज्ञान में थी, जिन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. बल्कि एसएसपी और एसपी क्राइम ने शिकायतकर्ताओं पर अपनी शिकायतें वापस लेने का दबाव डाला.
216 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति भी कुर्क की हैएफआईआर में आरोप लगाया गया है कि संजय भाटी और उसके साथियों ने एक सुनियोजित साजिश के तहत निवेशकों को ठगा है और कारोबार के नाम पर देश भर से कम से कम 15,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय ने गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड, इसके प्रमोटर संजय भाटी और अन्य के खिलाफ गौतमबुद्धनगर के दादरी पुलिस स्टेशन में दर्ज विभिन्न प्राथमिकी के आधार पर बाइक बोट घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी. वित्तीय जांच एजेंसी ने इस मामले में 216 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति भी कुर्क की है.
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