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रिपोर्ट : धीरेन्द्र शुक्ला

चित्रकूट के अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के तत्वावधान में एक दिवसीय लोक लय समारोह शुरू हुआ. इस एक दिवसीय कार्यक्रम में बुंदेलखंड के लोक कलाकार विलुप्त हो रही लोक संस्कृति को संजीवनी देने की कोशिश करेंगे.

संस्थान के संस्थापक संरक्षक गया प्रसाद गोपाल, जिन्हें गोपाल भाई के नाम से जाना जाता है उन्होंने बताया कि यह आयोजन 2005 से लगातार हो रहा है. कोरोना काल की वजह से दो साल यह क्रम बाधित हुआ था.

इस कार्यक्रम के पीछे का उद्देश्य यह है कि गौरवशाली बुंदेलखंडी संस्कृति को जीवित और संरक्षित किया जाए. उन्होंने कहा कि आज की आधुनिकता में युवाओं को अपनी गरिमामयी संस्कृति के बारे में जानकारी ही नहीं है.

गीतों और नृत्यों के माध्यम से किया गया जागरूक

बुंदेलखंड के राई, देवारी आदि नृत्यों के संबंध में शायद नई पीढ़ी को कुछ पता ही नहीं होगा. मंशा यही है कि जिन लोगों के हाथ में कल देश का भविष्य होगा.उनको इस संबंध में जागरूक किया जाए. बताया कि पूरे दिन पाठा के कलाकारों के साथ बुंदेलखंड के महोबा, हमीरपुर, ललितपुर, झांसी और बांदा आदि के लोक कलाकारों की कलाओं की विरासत साझा की गई. इस समारोह को प्रिया संस्था दिल्ली की डॉ. मार्था फर्रेल को समर्पित है.

इनकी काबुल में एक आतंकी हमले में मृत्यु हो गई थी. आयोजन में प्रिय, सहभागी शिक्षण ट्रस्ट, समर्थन भोपाल, उन्नति अहमदाबाद और सृजन नई दिल्ली का सहयोग है. समारोह का शुभारंभ संत मदनगोपाल दास ने किया.

कोस कोस में पानी बदले चार कोस में बानी

लोक कलाकारों ने अपने गांव, क्षेत्र और समाज में गाई जाने वाली पुरानी लोक विधाओं को प्रस्तुत कर पुरानी परंपराओं को पुनर्जागृत कर सभी का मन मोह लिया. चित्रकूट के मानिकपुर के पाठा क्षेत्र से आई बूटी कोल की टीम ने मंगला चरण, लमटेरा, देवी वंदना कर कार्यक्रम की शुरूवात कर गति प्रदान किया. इसके बाद सरैया मानिकपुर की रामकली ने बधाई गीत गाकर सभी का मन खुश कर दिया. महोबा से आई टीम ने तम्बूरा गायन कर पुराने बुजुर्गों की मनोरंजन परम्परा को याद दिलाया.

गीत गाकर सभी को भक्ति मय कर दिया

हमीरपुर की टीम ने अचरी और कबीरी विधाओं को बहुत ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया. पाठा की कोल आदिवासी महिला टीम ने अपनी सबसे प्राचीनतम विधा कोलहाई और सजनई गाकर लोक नृत्य प्रस्तुत कर सभी का मन जीत लिया. वही मौदहा के रोहित सिंह ने गजब का आल्हा प्रस्तुत कर पुरानी बुजुर्गों की नसों में भी जोश भरने का काम किया.

ललितपुर से लोक कलाकार संतोष परिहार ने सपत्नीक मतवारी विधा में “बूंदा ले गई मछरिया हिलोर पानी” गीत गाकर सभी को उछल-कूद करने के लिए मजबूर कर दिया.बांदा जनपद के कैरी गांव से आई ज्योति पटेल ने “जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है, कि अभी हमने जी भर के देखा नहीं है” गीत गाकर सभी को भक्ति मय बना दिया.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Chitrakoot News, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : February 27, 2023, 20:50 IST

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