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सृजित अवस्थी/पीलीभीत: बीते कुछ दिनों से पीलीभीत में बरसात ने दस्तक दे दी है. ऐसे में जिलेभर के खेतों में धान रोपाई का काम जोरों पर चल रहा है. वहीं इस दौरान सर्पदंश की घटनाओं में भी बढ़ोतरी हुई है. इस रिपोर्ट में जानिए ऐसी परिस्थितियों में किन बातों का रखना है ख्याल.

दरअसल,पीलीभीत जिला हिमालय की शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में बसा है. पीलीभीत तराई क्षेत्र के अंतर्गत आता है और यहां कृषि का रकबा 2.20 लाख हेक्टेयर के करीब है. ऐसे में यहां की अधिकांश आबादी कृषि व उससे जुड़े कार्यों पर निर्भर है. इन दिनों बारिश के बाद अधिकांश खेतों में धान रोपाई का काम चल रहा है. लेकिन बीते कुछ दिनों में पीलीभीत में सर्पदंश की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है. आमतौर पर देखा ये जाता है कि ग्रामीण अंचल के लोग सर्पदंश के मामलों में इलाज की बजाए झाड़फूंक पर अधिक विश्वास जताते हैं. जिस वजह से कई बार इलाज में देरी के चलते कई बार व्यक्ति की मौत तक हो जाती है.

सर्पदंश के मामलों पर ये बोले विशेषज्ञ

सर्पदंश की घटना के तुंरत बाद बरती जाने वाली सावधानी पर अधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत मेडिकल कॉलेज में तैनात फिजीशियन डॉ. रमाकांत सागर ने बताया कि सर्पदंश की घटना के तुरंत बाद सबसे पहले घायल हुए व्यक्ति को मानसिक तौर पर मज़बूत रखना चाहिए. जिस अंग पर सर्पदंश हुआ है उसे पट्टी से बांध देना चाहिए. लेकिन यह ज़रूर ध्यान रखें कि पट्टी ज़्यादा कस कर न बंधी हो. किसी भी तरह की झाड़ फूँक यह टोने टोटके से पहले व्यक्ति को इलाज की आवश्यकता होती है. सर्पदंश की घटना के बाद कोशिश करनी चाहिए कि एक घंटे के भीतर व्यक्ति को इलाज मुहैया करा दिया जाए.
.Tags: Hindi news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : July 14, 2023, 19:57 IST

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