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बइसाख के महीना चलता. कहल जाला कि बइसाख सुरू होते दिन उरठ होखे लागेला, मन अलसा जाला, एसे आदमी के खान- पान पर बिसेस ध्यान देबे के चाहीं. पुरनिया लोग खान- पान पर कई गो बात कहि गइल बा लोग. आजकाल त सवाद प्रधान हो गइल बा. पहिले सवाद का साथे, खाए वाला चीज के पोषक तत्व पर ध्यान दियात रहल ह. एह लेख में जौना तथ्य आ औषधि के उल्लेख कइल गइल बा, ऊ कुल पुराना जमाना के ह. जरूरी नइखे कि ओकरा के मानल जाउ. हमार कोशिश ई बा कि प्राचीन मान्यता, बिसवास आ रहन- सहन के झलक रउरा सामने प्रस्तुत क दीं. अतीत में झांक के देखला से बहुत कुछ जाने के मिलेला. त आईं देखल जाउ पुरनिया लोग का कहले बा. पहिले घाघ- भड्डरी के एगो कहनाम पढ़ि लीं-

चइते गुड़ बइसाखे तेल, जेठ में पेठा आषाढ़े बेल.सावन साग न भादों मही, क्वार करैला कातिक दही.अगहन जीरा पूसे धना, माहे मिश्री फागुन चनाइन बारह से बचे जो भाईता घर सपनेहु बैद न जाई

(चइत महीना में गुर, बइसाख में तेल, जेठ में पेठा, आषाढ़ में बेल, सावन में साग, भादों में मट्ठा, कुआर (क्वार) में करेला, कातिक में दही, अगहन में जीरा, पूस में धनियां, माघ में मिश्री आ फागुना में चना जे ना खाई ओकरा डाक्टर- बैद का लगे जाए के जरूरत ना परी. माने अइसन सावधानी से खाए वाला आदमी निरोग रही.)

तनकी भर बइसाख से विषयांतर करेके अनुमति दीं. एह दोहन में ध्यान देबे वाला बात ई बा कि जे करैला के बखान करत ना थाकेला, ओकरा कुआर (क्वार) के महीना में करैला से परहेज करेके चाहीं. घाघ- भड्डरी के कहाउत अइसहीं नइखे, ऊ लोग बहुत शोध आ प्रयोग के बाद ई कुल लिखले, बतवले बा लोग. ओहीतरे जे मिश्री भा साग के बखान करेला ओकरो ध्यान देबे के चाहीं कि कौना महीना में ई खाद्य पदार्थ ना खाए के चाहीं.

आपके शहर से (पटना)

उत्तर प्रदेश

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घाघ- भड्डरी के मुताबिक बइसाख महीना में तेल भा तैलीय चीज ढेर ना खाए के चाहीं. माने, घरे जौन तियन- तरकारी बनी, व्यंजन बनी ओकरा में कम से कम तेल रहे के चाहीं. तेल के प्रति कंट्रोल रहे के चाहीं, ना त तबियत ढील हो जाई. त ई मत जानीं कि आजकाल डायटीशियन लोग नया बात कहता कि तेल के इस्तेमाल कम होखो. पुराना जमाना में आलरेडी घाघ- भड्डरी ई बात कहि चुकल बा लोग. अब जब बात चलिए गइल त ईहो जानल जाउ कि का दुखदायी होला-

एक तो बसो सड़क पर गांवदूजे बढ़े बड़न में नांवतीजे रहे दरब से हीनघग्घा ये है बिपता तीन..(सड़क पर बसे वाला गांव, बड़ लोगन में ख्याति आ धन के अभाव रहे त घाघ के मुताबिक ई तीनो विपत्ति ह.)

अच्छा, भोजन कइला का बाद का करेके चाहीं. त पढ़ीं-

खाइ के मूते, सूते बांउकाहें बैद बुलावै गांउ..(भोजन कइके जे पेशाब करेला आ ओकरा बाद बाएं करवट सूते/लेटेला ऊ निरोग रहेला. ओकरा डाक्टर के यजरूरत ना परे.)

पुरनिया लोग ईहो बता गइल बा कि भोजन में कंबिनेशन का होखे के चाहीं-

मड़ुआ मीन, चीन संग दहीकोदो के भात, दूध संग लही..(मड़ुआ के व्यंजन, मछरी का संगे, दही, चीनी का संगे आ कोदो के भात गाढ़ दूध का संगे खाए के चाहीं).

अब एगो बहुते दिलचस्प कहाउत सुनीं. कहीं यात्रा पर निकले के पहिले लोग साइत देखावेला. बाकिर घाघ- भड्डरी के साइत दिन के हिसाब से होत रहल ह. पूरा साल कौना दिने कौना दिशा के यात्रा करेके चाहीं एकर वर्णन देखीं-

सोम सनीचर पूरब न चाल, मंगल बुध उत्तर दिसि काल.बीफे दक्खिन करे पयाना, ताको समझो फिर नहिं आना..बुद्ध कहें मैं बड़ा सयाना, हमरे दिन जो करे पयाना.कौड़ी से नहिं भेंट कराऊं, छेम कुशल से घर ले आऊं..

(सोमार आ सनीचर के पूरब दिशा के यात्रा ना करेके चाहीं. मंगल आ बुध के दिने उत्तर दिशा में ना जाए के चाहीं. जे बियफे (वृहस्पतिवार) के दिने दक्खिन दिशा में यात्रा करेला ऊ फेर लौटि के वापस ना आई. बुध का दिने जे यात्रा करेला ओकरा एक पइसा लाभ ना होला, माने ओह दिने यात्रा ना करेके चाही. बाकिर जदि केहू यात्रा कइए दिहल, त ओह आदमी के भले कौनो आमदनी ना होखे बाकिर ऊ सकुशल घरे लौटि आवेला.)

पुरनिया लोग पहिले दवाई- बीरो प्रकृति में खोजत रहल ह. ओह लोगन के मान्यता रहल ह कि प्रकृति हर रोग खातिर औषधीय पेड़- पौधा दे देले बिया. पुरनिया लोग के गहिर बिसवास करत रहल ह कि सबसे बरियार आ बेजोड़ दवाई जड़ी- बूटी में बा. जइसन रोग, ओइसन जड़ी- बूटी. एगो दोहा देखीं-

प्रतिदिन तुलसी बीज जोपान संग जदि खाय.रक्त, धातु दोनों बढ़ेनामर्दी मिट जाय..

बइसाख महीना का बहाने रउरा सबके सामने अतीत के ई खजाना प्रस्तुत बा. एकरा के खाली जानकारी के रूप में ग्रहण करीं. कौनो प्रयोग करेके पहिले डाक्टर- बैद से जरूर सलाह ले लीं. काहें से कि कुछू खाए- पीए भा करे के पहिले कौनो विशेषज्ञ के राय लिहल बहुत जरूरी ह.

( डिसक्लेमर – लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं.)
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Bhojpuri article, IdiomsFIRST PUBLISHED : April 10, 2023, 17:34 IST

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