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कृष्ण गोपाल द्विवेदी/बस्ती. दुनिया की सभी प्राचीन सभ्यताओं का विकास नदियों के तट पर हुआ. कभी नदियां जीवन दायिनी हुआ करतीं थीं पर अब तो एक ओर जहां इनका वजूद खुद खतरे में है वहीं मानव जीवन के लिए खतरा बनती जा रही हैं. जनपद में प्रवाहित प्रमुख नदियों में से यदि घाघरा को छोड़ भी दें तो कुआनों, मनवर व रामरेखा जैसी पौराणिक नदियां अस्तित्व से जूझ रही हैं. जिनमें रामरेखा और मनोरमा का इतिहास भगवान राम से जुड़ा माना जाता है.दुखद यह कि न तो इनकी रक्षा के लिए कोई संस्था आगे आ रही है और न ही सरकार की ओर से कोई पहल हो रही है,

गुरू महर्षि वशिष्ठ की धरती कहे जाने वाले बस्ती जनपद में भगवान राम, माता सीता से जुड़ी बहुत सी यादें हैं. जहां भगवान राम सहित सभी भाइयों के अवतरण के लिए पुत्रकामेष्ठि यज्ञ भी यही पर हुआ था. इसका बाद अयोध्या में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का जन्म हुआ था. भगवान राम की बहन शांता का भी निवास स्थान बस्ती में ही है. यहां के श्रृंगीनारी में आज भी माता शांता का मन्दिर विराजमान है. जिसका निर्माण माता शांता के पति श्रृंगी ऋषि ने किया था.

जलकुंभियो से पट गई है नदीसरकार भले ही सांस्कृतिक और पौराणिक स्थलों और नदियों के विकास के लिए भारी भरकर बजट तो देती है. बावजूद इसके भगवान राम द्वारा उत्पत्ति की गई नदी जिसको रामरेखा नदी कहा जाता है के अस्तित्व पर संकट छा गया है. यह नदी पूरी तरह से प्रदूषित और जलकुंभियो से पट गई है. जिससे अब इस पवित्र नदी का पानी भी पूरी तरह से सुख गया है.

इस नदी से माता सीता ने बुझाई थी अपनी प्यासरामरेखा मन्दिर के महन्त दयाशंकर दास ने बताया कि जब भगवान राम माता सीता से ब्याह करके जनकपुर से अयोध्या आ रहे थे तो आज के बस्ती जनपद के विक्रमजोत विकास खण्ड के राम जानकी मार्ग पर माता सीता को प्यास लग गई थी. जिसके बाद भगवान राम ने माता सीता की प्यास बुझाने के लिए अपना बाण निकाला और एक रेखा खींचा जिसके बाद रामरेखा नदी की उत्पत्ति हुई थी. तत्पश्चात माता सीता ने इस पवित्र राम रेखा नदी से अपनी प्यास बुझाई थी.

रामरेखा नदी के विलुप्त होने का खतरामहन्त दयाशंकर दास ने आगे बताया कि जब भाजपा की सरकार आई तो रामरेखा मन्दिर का विकास पर्यटन के दृष्टि से तो कर दिया गया लेकिन नदी के साफ सफाई की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया. जिससे यह नदी शैवाल और जलकुंभी से पट गई है. बाहर के नालों का पानी इस पवित्र नदी में आने के कारण इसका जल पूरी तरह से प्रदूषित हो गया है. इस पवित्र नदी के साफ़ सफाई पर ध्यान नहीं दिया गया तो अगले कुछ सालों में यह पवित्र नदी विलुप्त हो जायेगी. चौरासी कोसी परिक्रमा के लिए जब श्रद्धालु मखौड़ा धाम से चलते हैं तो रामरेखा पर ही परक्रमार्थियो का प्रथम ठहराव होता है, जिसके बाद श्रद्धालु यहां स्नान ध्यान करते थे लेकिन नदी का पानी दूषित होने को वजह से श्रद्धालु इस पवित्र नदी में नहीं नहा पाते हैं.

जल्द होगी सफाईप्रभारी डीएम और सीडीओ बस्ती राजेश प्रजापति ने बताया कि रामरेखा नदी के साफ़ सफाई का कार्य जल्द ही शुरु किया जाएगा.
.Tags: Basti news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 22, 2023, 23:02 IST

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