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अखिलेश सोनकर/चित्रकूट: एक वक्त था जब डकैतों के नाम से चित्रकूट ही नहीं बल्कि पूरा बुंदेलखंड थरथर कांपता था. बेखौफ और खूंखार डकैतों की हुकूमत से पल में सत्ता बदल जाती थी. इनकी हुकूमत से प्रधान से लेकर सांसद और जिला पंचायत अध्यक्ष तक की कुर्सियों पर डकैतों के सिर का ताज होता था. आज उसी बुंदेलखंड में डकैतों का तो खात्मा हो चुका है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्या वजह थी कि बुंदेलखंड के सबसे दुर्दांत डकैतों का खात्मा वर्षा ऋतु यानी बारिश के मौसम में ही हुआ.

आखिरकार क्यों यह महीना उन दहशतगर्दो की ज़िन्दगियों के लिए काल बना? जबकि इस माह में जंगलों की हरियाली अन्य दिनों के बनिस्बत ज्यादा होती है. वहीं डकैतों के लिए भी यह हरे-भरे घने जंगल शरण स्थली होती है. बावजूद इसके क्यों डकैतों के लिए यह महीना मौत का महीना बन गया, देखिये हमारी इस खास रिपोर्ट को.

ददुआ के खौफ से थर्राता था बुंदेलखंडदरअसल बुंदेलखंड में चित्रकूट के पाठा की धरती में एक से बढ़कर एक खूंखार डकैत रहे हैं. इन लोगों ने जरायम की दुनिया में अपना कदम रखकर एक से बढ़कर एक रूह कपा देने वाली घटनाओं को अंजाम दिया है. डकैतों की दहशतगर्दी की वजह से प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में इन डकैतों की खूब चर्चा रही है. चाहे वो साढ़े सात लाख के इनामी डकैत ददुआ उर्फ शिव कुमार पटेल रहा हो या फिर साढ़े 6 लाख का इनामी डकैत ठोकिया उर्फ अंबिका पटेल या फिर साढ़े 5 लाख का इनामी डकैत बलखड़िया या तो सात लाख का इनामी डकैत बबली कोल.

यह सभी अपने गिरोह के गैंग लीडर रहे हैं, जिनकी जरायम की दुनिया की कहानी सुनकर आपकी भी रूह कांप जाएगी, लेकिन सभी विख्यात डकैतों की मौत का काल बना है ऋतु काल.

एक दिन में ही 9 लोगों की हत्या कर सुर्खियों में आया ददुआपहले हम बात करेंगे साढ़े सात लाख के इनामी डकैत शिवकुमार पटले उर्फ दद्दुआ की. वह मानिकपुर के देवकली गांव का रहने वाला था. जमीनी विवाद में अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए बागी हो गया. सन 1986 में करीब 9 लोगों की हत्या कर प्रदेश और देश में खूब सुर्खियां बटोरी थी. डकैत ददुआ ने कई दिल दहला देने वाली घटनाओं को अंजाम दिया था. ददुआ के ऊपर करीब 400 से ज्यादा अपराधिक मामले यूपी और एमपी थानों में दर्ज है. उसे मारने के लिए यूपी-एमपी की सरकार ने साढ़े 7 लाख का इनाम घोषित किया था.

मायावती की सरकार आते ही ददुआ ढेरददुआ के एक इशारे पर गांव के ग्राम प्रधान से लेकर सांसद तक बनते थे और उसके एक इशारे पर सरकारें बनती और बिखर भी जाती थी, जब ददुआ ने नाक में दम कर लिया तो बसपा सरकार 2007 में यूपी एसटीएफ ने साढ़े 7 लाख के इनामी डकैत ददुआ को 4 जुलाई 2007 को मुठभेड़ में मारने की सफलता हासिल की थी.

बहन का हुआ रेप, बागी बना ठोकियाबात करें साढ़े 6 लाख के इनामी डकैत ठोकिया की तो उसका असली नाम डॉक्टर अम्बिका पटेल उर्फ ठोकिया था. वह भरतकूप थाना क्षेत्र के लोखरी गाँव का रहने वाला था. पढ़ाई में बहुत तेज था. डॉक्टर बनने की तैयारी कर रहा है था लेकिन इस बीच उसके परिवार के साथ कुछ ऐसा हुआ कि वह डॉक्टर से साढ़े 6 लाख का इनामी डकैत बन गया था. इनामी डकैत ठोकिया के बहन के साथ रेप हुआ था जिसका बदला लेने के लिए वह बागी हो गया था.

ददुआ एनकाउंटर के बाद STF जवानों को माराबागी रहते हुए उसने कई बढ़ी घटनाओं को अंजाम दिया था. ददुआ के एनकाउंटर के बाद आक्रोशित ठोकिया ने STF के 6 जवानों को भी मार गिराया था जिससे प्रदेश की सरकार हिल गयी थी और डकैत ठोकिया को सबसे खूंखार डकैत माना जाने लगा था. लेकिन मरते दम तक वह अपनी बहन के साथ रेप की हुई घटना का बदला नहीं ले पाया था. बाद में STF के जवानों की मौत के बाद यूपी सरकार ने उसे 4 अगस्त 2008 को एनकाउंटर में मार गिराया था.


वहीं अगर बात करे साढ़े 6 लाख के इनामी डकैत बलखड़िया की तो बलखड़िया का नाम स्वदेश पटेल था. अपने भाई सुंदर पटेल की पुलिस एनकाउंटर में ढेर होने के बाद उसने गैंग की कमान संभाली थी और डकैत ददुआ के लिए खाना बनाने का काम करता था. उसकी बहादुरी से खुश होकर ददुआ ने उसे 375 बोर की राइफल दी थी, बलखड़िया पर 90 से अधिक हत्या अपहरण और लूट के मामले दर्ज थे वर्ष 2008 में ठोकिया के मारे जाने के 5 साल बाद बलखड़िया पर भी 5 लाख का इनाम हो गया था.

मध्य प्रदेश पुलिस की ओर से पहले से ही इस पर डेढ़ लाख का इनाम घोषित था. जुलाई 2015 को मारकुंडी थाना के कोलान में डकैत बलखड़िया गैंग की पुलिस से मुठभेड़ हो गयी जिसमें पुलिस ने बलखड़िया को मार गिराया गया था.

माउथ आर्गन बनाने वाला बबली बना डकैतयूपी और एमपी में आतंक का पर्याय बने इनामी डकैत बबली कोल यूपी का मोस्ट वांटेड 6 लाख 30 हज़ार का इनामी डकैत था. एमपी सरकार की ओर से एक लाख का इनाम घोषित था. इनामी डकैत बबली कोल पुत्र राम चरण कोल मारकुंडी थाना क्षेत्र के सोसाइटी कुलान मजरा डोडा माफी का रहने वाला था. कहा जाता है कि इनामी डकैत बबली कोल पहली बार तमंचा रखने के जुर्म में जेल गया था. उसकी मुलाकात वहां डकैत लाले पटेल से हुई.

बलखड़िया के मारे जाने पर संभाली गैंग की कमानपेशी के दौरान ये इनामी डकैत भाग गया था. इसके बाद बबली कोल की एक शादी समारोह कार्यक्रम में दस्यु डकैत बलखड़िया से मुलाकात हुई थी. बलखड़िया ने उसे अपना राइट हैंड बना लिया. बलखड़िया के मारे जाने के बाद बबली कोल को गैंग का सरदार बना दिया गया. इसके बाद से  बबली कोल लगातार लूट-हत्या जैसी वारदातों को अंजाम देने लगा.

बबली कोल पर चित्रकूट में 89 मुकदमें दर्ज है और मध्य प्रदेश में भी कई मुकदमे दर्ज हैं. कुल मिलाकर 100 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. लोगों को ऐसा कहना है कि बबली कोल माउथ ऑर्गन बहुत अच्छा बजाता था. वह दस्यु सम्राट ददुआ को माउथ ऑर्गन बजाकर सुनाता था. ददुआ भी उसे खूब पसंद करने लगा.

ददुआ को देख बना डकैतबबली कोल ददुआ के रुतबे को देखकर डकैत बनने का शौक रखता था. बाद में वह बलखड़िया गैंग में शामिल हो गया था. इनामी डकैत बबली कोल को 15 सितंबर 2019 की रात मध्य प्रदेश पुलिस ने दावा किया था कि उसे मुठभेड़ में ढेर कर दिया है. सूत्रों के अनुसार गैंगवार में इनामी डकैत बबली कोल और उसके साथी लवलेश कोल की मौत हुई थी.

कुछ इस तरह आतंक का पर्याय रहने वाले बुंदेलखंड के खूंखार डकैतों को ऋतू काल ने काल के गाल में समा दिया और चित्रकूट की धरती में रक्तबीज की तरश पनपने वाले जरायमी पौध को खत्म कर दिया था. आज चित्रकूट ही नही बल्कि पूरा बुंदेलखंड डकैतों से आज़ाद विकास की ओर अग्रसर हो रहा है.
.Tags: Chitrakoot News, Local18, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : July 21, 2023, 12:07 IST

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