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बरेलीःनाथ नगरी के सुभाषनगर में स्थित श्री तपेश्वरनाथ मंदिर बरेली के प्राचीन मंदिरों में से एक है.इस मंदिर की मान्यता यह है कि यहां कई ऋषि-मुनियों ने कठोर तपस्या कर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया था.उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ही इस तपोस्थली पर प्रकट हुए भगवान शिव को तपेश्वरनाथ कहकर पुकारा जाने लगा.तपेश्वर नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी विशन शर्मा बताते है कि पूज्य ध्रुम ऋषि के एक शिष्य ने यहां सैकड़ों वर्ष तपस्या की थी.उनकी भक्ति को देखकर ही भगवान शिव यहां विराजमान हुए और तभी से यह मंदिर तपेश्वरनाथ के नाम से प्रसिद्ध हो गया.मंदिर को लेकर एक कथा यह भी प्रचलित है कि आज जहां भगवान शंकर की शिवलिंग स्थापित है. पहले वहां एक गुफा हुआ करती थी, जिसमें रहकर एक बाबा ने 400 वर्षों तक तप किया था.जिसके बाद उनके पूरे शरीर पर भालू के समान बाल हो गए थे.इसलिए लोगों ने उन्हें भालू दास बाबा कह कर पुकारना शुरू कर दिया था.इनके बाद यहां बाबा मुनिश्वर दास और राम टहल दास जी ने भी तप किया और भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया.पीपल के पेड़ के नीचे प्रकट हुआ था शिवलिंगसात नाथ मंदिरों में से एक श्री तपेश्वर नाथ मंदिर बरेली शहर के बसने से पहले स्थापित बताया जाता है.इस मंदिर से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है. मंदिर के पुजारी विशन शर्मा ने बताया कि जिस जगह पर आज यह तपेश्वर नाथ मंदिर है.वहां सैकड़ों वर्ष पूर्व गंगा प्रवाहमान थी.जिसके कारण यहां की मिट्टी अभी भी रेतीली नजर आती है.जो इस बात को प्रमाणित करती है.घने बांस के जंगल के बीच पीपल के पेड़ के नीचे शिवलिंग प्रकट हुए. जिन्हें ही तपेश्वर नाथ कहा जाने लगा.सैकड़ों वर्षों से यहां कठोर तप किया जाता है और यह तपस्या का क्रम आज भी बना हुआ है.इसी के चलते कालांतर में मंदिर श्री तपेश्वर नाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : March 05, 2023, 19:24 IST

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