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रिपोर्ट – निखिल त्यागी

सहारनपुर. यूपी के सहारनपुर में युवाओं के लिए एक खास कार्यक्रम चलाया जा रहा है. सहारनपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अधिकारी आईके कुशवाहा ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में ग्रामीण युवाकों के लिए पांच दिवसीय स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसमें 40 वर्ष की आयु से कम के बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण में पशु चॉकलेट बनाने की विधि और पशुओं को खिलाने सम्बन्धी पूर्ण जानकारी युवाओं को दी जा रही है.कुशवाहा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में पशुओं को भरपूर पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं. वहीं, ऊर्जा, प्रोटीन, खनिज, नमक आदि की मात्रा के विषय में भी ग्रामीणों व पशुपालकों में जानकारी का अभाव है, इसलिए कार्यक्रम की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के पशुओं से सम्बंधित मुख्य समस्या पशुओं के गर्भधारण की है. गर्भ के दौरान करीब पांच माह के बाद यह चॉकलेट गर्भित पशु के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे सभी पोषक तत्‍वों की पूर्ति हो जाती है.

चॉकलेट बनाने की विधिडॉ. मनोज सिंह ने बताया कि पशुओं के लिए चॉकलेट बनाने के लिए 6 चीजों की आवश्यकता होती है. गेहूं का चोकर, यूरिया, शीरा, सीमेंट, खनिज मिश्रण और नमक से चॉकलेट बनाई जाती है. चॉकलेट बनाने में इनकी मात्रा भी निर्धारित की गयी है, जिसमे गेंहू का चोकर 40 प्रतिशत, 38 प्रतिशत शीरा, 10 प्रतिशत यूरिया, 10 प्रतिशत सीमेंट, 1 प्रतिशत नमक और 1 प्रतिशत खनिज मिश्रण से यह चॉकलेट बनाई जाती है. 2 लीटर पानी मे 5 किलो सीमेंट व अन्य चीजों को अच्छे से मिलाया जाता है. चोकर को मिलाने के बाद मशीन में दो-दो किलो डालकर प्रेस किया गया. उसके बाद एक सप्ताह तक सुखाया जाता है.

किस तरह से पशुओं को खिलाएं यह चॉकलेटडॉ.मनोज सिंह ने बताया कि किसानों को चाहिए की एक वर्ष से ऊपर के पशु को यह चॉकलेट खिलाई जाती है. पशु को 300 ग्राम तक यह चॉकलेट खिलाई जाती है, जिसका असर दूध देने वाले पशु पर अधिक पड़ता है. इस चॉकलेट के प्रयोग से पशु के दूध की मात्रा बढ़ जाती है. डॉ. मनोज ने बताया कि जिस पशु का गर्भ के दौरान गर्भाशय बाहर निकलता है, उस रोग में यह चॉकलेट बहुत ही उपयोगी है. इस समस्या से चॉकलेट छुटकारा देने में सहायक है. साथ ही पशुओं का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है.

आईबीआरआई पशु चिकित्सा अनुसंधान द्वारा विकसित है यह चॉकलेट विधिडॉ. मनोज सिंह ने बताया कि आईबीआरआई पशु चिकित्सा अनुसंधान बरेली द्वारा चॉकलेट विधि विकसित की गई है. उन्होंने बताया कि इस विधि के द्वारा ही हम अपने किसानों के लिए यह चॉकलेट बना रहे हैं.युवाओं को भी इसका प्रशिक्षण स्वरोजगार योजना के अंतर्गत दे रहे हैं.
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