[ad_1]

रिपोर्ट: आदित्य कृष्णअमेठी: कभी फिरंगियों के समय में भटगवां गांव की पहचान बने ‘नागरा जूते’ का प्रचलन आज भी अमेठी में बरकरार है. गौरीगंज जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर भटगवां गांव पड़ता है. इस गांव के मुस्ताक अहमद नागरा जूता बनाने का कारोबार करते हैं. इनके हाथ से बने नागरा जूते इतने मशहूर हैं कि दूर-दूर से लोग इसे खरीदने के लिए पहुंचते हैं.प्रशासन ने भी मुस्ताक की काबिलियत को देखते हुए उन्हें इसका इनाम देना चाहा. अमेठी जिलाधिकारी राकेश मिश्र ने जिला उपायुक्त ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारी राजीव पाठक को निर्देश दिया कि इस व्यवसाय को जल्द ही अमेठी के स्थानीय उद्योग में शामिल किया जाए. ताकि इस व्यापार को बढ़ावा मिल सके.इसी कारोबार से चल रहा है घरएक समय था जब नागरा जूते के नाम से पहचाने जाने वाले भटगवां गांव में घर-घर नागरा जूते बनाए जाते थे. समय के साथ नागरा जूते बनाने का कारोबार भी सिमटता गया. आज सिर्फ इस कारोबार की लौ गांव के मुस्ताक अहमद ही जला रहे हैं. 62 वर्षीय मुस्ताक अहमद बताते हैं कि पीढ़ियों से इस कारोबार को करते आ रहे हैं और वो 15 साल की उम्र से इस कारोबार में लगें हुए हैं. इसी कारोबार से उनके घर का खर्च चलता है. उन्होंने यह भी कहा कि नई पीढ़ी के युवा रोजगार के लिए बाहर जाकर कमाना ज्यादा पसंद करते हैं. उनको इस रोजगार में रूचि नहीं रही. मुस्ताक अहमद की पत्नी गुजर चुकी हैं. इनके परिवार में 3 बेटे और तीन बेटियां हैं. मुस्ताक नागरा जूते बनाने के साथ खेती किसानी की भी जिम्मेदारी संभालते हैं.दूर-दूर से आते हैं लोगनागरा जूता बनाने वाले मुस्ताक बताते हैं कि इस जूते को बनाने में 2 दिनों की मेहनत से 1 जोड़ी नागरा जूता तैयार होता है. इसमें 15 सौ रुपए की लागत आती है. वहीं उपायुक्त जिला उद्योग राजीव कुमार पाठक ने बताया कि जिलाधिकारी ने हमें निर्देश दिए हैं कि इसको स्थानीय उद्योग में शामिल किया जाए. इसलिए जल्द ही हम इसे स्थानीय उद्योग में शामिल करेंगे और इनके इस व्यापार को बढ़ाने के लिए जो भी आर्थिक सहायता होगी. इन्हें विभाग द्वारा मुहैया कराई जाएगी.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : January 15, 2023, 16:15 IST

[ad_2]

Source link