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know about Neuroendocrine Tumors: 29 April 2020 को एक ऐसी खबर आई, जो इरफान खान के फैंस को किसी सदमें से कम नहीं थी. क्योंकि इस दिन बॉलीवुड के मशहूर एक्टर इरफान खान (actor irfan khan) ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. ऐसा क्या हुआ था कि 54 साल की उम्र में इरफान खान जिंदगी से जंग हार गए. दरअसल, उन्हें वो न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर नाम की खतरनाक बीमारी (neuroendocrine tumor disease) थी. ये बहुत ही खतरनाक ट्यूमर है, जो किसी इंसान के पेट समेत, एपेंडिक्स, कोलन, रेक्टम और पैंक्रियाज जैसे जगहों पर हो सकता है. यदि किसी व्यक्ति के शरीर के इन स्थानों पर ये ट्यूमर होता है, तो उसे न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर वर्ग में रखा जाता है. 

न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (neuroendocrine tumor) को लेकर हमने गुड़गांव स्थित मेदांता अस्पताल में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी कैंसर सेंटर की चेयरपर्सन डॉ. तेजिंदर कटारिया से खास बातचीत की है. न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर को मेडिकल साइंस में काफी खतरनाक माना जाता है. आइए सवाल-जवाब के जरिए समझते हैं कि आखिर क्या है न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर और कितनी खतरनाक है ये बीमारी. 

सवाल- क्या है न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर?  (What is neuroendocrine tumor)

जवाब- न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (neuroendocrine tumor) हार्मोन्स बनाने वाली ग्रंथियों से संबंधित एक कैंसर है, जिसका समय रहते पता लगने पर इलाज कराया जा सकता है. यह कुछ खास कोशिकाओं से बनना शुरू होता है. इस बीमारी में हॉर्मोन पैदा करने वाली नर्व और एंडोक्राइन कोशिका दोनों प्रभावित होने लगती हैं. ज्यादातर न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर फेफड़े, अपेन्डिक्स, छोटी आंत, रेक्टम और अग्नाशय में होते हैं, लेकिन यह बिना कैंसर के भी हो सकते हैं. 

सवाल- कैसे होती है इस बीमारी की पहचान? (Neuroendocrine tumor symptoms)

जवाब- न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर में कुछ खास तरह के लक्षण नजर आते हैं. इनमें लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है. इसके साथ ही, एंग्जाइटी अटैक, बुखार, सिरदर्द होने लगता है. ज्यादातर मामलों में अधिक पसीना आना, मितली, उल्टी, दिल की धड़कनों का अनियंत्रित तरीके से धड़कना जैसे लक्षण दिखा देते हैं. इसके अलावा ट्यूमर से पीड़ित रोगी को पेट दर्द, पीलिया, गैस्ट्रिक अल्सर, आंतों में दिक्कत और वजन में कमी जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं.

सवाल- किन और उम्र के लोगों को हो सकती है ये बीमारीजवाब- डॉ. तेजिंदर कटारिया कहती हैं कि वैसे तो यह बीमारी सभी के लिए हो सकती है, लेकिन जो लोग 52-68 के बीच की उम्र में होते हैं, उन्हें इससे ज्यादा खतरा होता है. कुछ लोगों में प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के कारण भी इस ट्यूमर का जोखिम बढ़ जाता है. 

सवाल- न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से बचने के लिए क्या करें

स्मोकिंग करने से बचें
शराब का सेवन करने से बचें
नशीली दवाओं का सेवन न करें
सवाल- कितनी खतरनाक होती है यह बीमारी? जवाब- न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर कितनी खतरनाक बीमारी हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी किस चरण में है. अगर ट्यूमर पहले चरण में है तो मरीज औसतन 15 साल तक जिंदा रह सकता है. वहीं ग्रेड 2 के मरीज लगभग 8 साल तक जीवित रह सकते हैं. सबसे खतरनाक स्टेज तीसरी और चौथी होती है, जिसमें मरीज 12 महीने से कम समय तक ही जीवित रह सकता है. 

सवाल- न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर का इलाज कैसे होता है?

जवाब- मेडिकल साइंस की भाषा में कहें तो लोकलाइज्ड और लोकोरीजनल ( localized and locoregional neuroendocrine) या पहले चरण का ट्यूमर अगर संभावित हो तो शरीर से निकाला जा सकता है. ट्यूमर के दूसरे और तीरसे चरण के मरीज का इलाज रेडियोथैरेपी से किया जा सकता है. वहीं अगर बीमारी अंतिम चरण में हो तो उस स्थिति में कीमोथैरेपी ही बेहतर विकल्प रह जाता है. अगर मरीज को  carcinoid syndrome है तो उस स्थिति में peptide receptor radiotherapy-PRRT थैरेपी से इलाज किया जा सकता है. 

इन सेलिब्रिटी की मौत भी न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से हुई

हॉलीवुड एक्टर पैट्रिक स्वाइज जिन्होंने द आउटसाइडर्स, डर्टी डांसिंग और घोस्ट जैसी बेहतरीन फिल्मों में काम किया, उनकी मौत भी साल 2009 में 57 साल की उम्र में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से हुई.
5 अक्टूबर 2011 में एपल के सीईओ स्टीव जॉब्स की मौत भी न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के कारण हुई.
फेमस सिंगर और एक्टर एरेथा फ्रैकलिन की मौत 26 अगस्त 2018 को न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से ही हुई थी.
ब्रिटिश एक्टर एलेन रिकमैन की मौत भी न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से हुई। 14 जनवरी 2016 में उनकी मौत हुई.
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यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.

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