नोएडा. नोएडा अथॉरिटी की CEO रितु महेश्वरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने समय से उपस्थित ना होना भारी पड़ गया है. एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीईओ को पुलिस कस्टडी में लेकर अदालत में पेश करने का आदेश दिया है. इतना ही नहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने गौतमबुद्ध नगर के CJM को आदेश का अनुपालन करवाने की जिम्मेदारी सौंपी है. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहाकि “जब सुनवाई का समय सुबह 10 बजे का है और आप साढ़े दस बजे की फ्लाईट पकड़ रही है. ये कोर्ट आपकी सहूलियत के हिसाब से नहीं चलता.”
हाईकोर्ट ने कहा कि नोएडा की सीईओ रितु महेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का यह पर्याप्त आधार है. अदालत में कहा, रितु महेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाता है. गौतमबुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट इसका पालन करवाएंगे. अदालत ने आदेश दिया कि अगले 48 घंटों के भीतर इस आदेश की प्रतिलिपि गौतमबुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को उपलब्ध करवाई जाए. मामले की अगली सुनवाई 13 मई 2022 को होगी. उस दिन नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी को पुलिस कस्टडी में अदालत के सामने पेश किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट में हारी और हाईकोर्ट का नहीं किया पालन
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ नोएडा प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट में भी नोएडा प्राधिकरण मुकदमा हार गई. इसके बावजूद इलाहाबाद हाईकोर्ट के पुराने आदेश का पालन नहीं किया. लिहाजा, मनोरमा कुच्छल ने नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर दी. इस अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए 27 अप्रैल 2022 को अदालत ने आदेश पारित किए.
मई की सुनवाई में हाजिर नहीं हुईं सीईओ
रितु महेश्वरी को हाईकोर्ट ने 4 मई की सुनवाई में हाजिर रहने का आदेश दिया था. अदालत ने विगत 28 अप्रैल को सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि मामले की सुनवाई 4 मई को होगी. उस दिन नोएडा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी खुद अदालत में मौजूद रहेंगी. दरअसल, 28 अप्रैल को हुई सुनवाई के दिन भी रितु महेश्वरी अदालत में हाजिर नहीं हुई थीं. अब जब गुरुवार को इस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो नोएडा अथॉरिटी के वकील रविंद्र श्रीवास्तव अदालत में मौजूद थे.
वकील ने बताया साढ़े 10 की फ्लाइट से आ रही मैडम
नोएडा प्राधिकरण के वकील रविंद्र श्रीवास्तव ने न्यायालय को बताया कि रितु महेश्वरी हवाई जहाज से आ रही हैं. उनकी फ्लाइट 10:30 बजे दिल्ली से उड़ान भरेगी. अदालत ने कहा कि उन्हें 10:00 बजे न्यायालय में हाजिर हो जाना चाहिए था. यह नोएडा की सीईओ का अनुचित कामकाज और व्यवहार है. यह अदालत की अवमानना के दायरे में आता है. उनके खिलाफ अवमानना प्रक्रिया शुरू करने का अदालत ने आदेश दिया.
कोर्ट ने माना प्राधिकरण ने किया गलत
अदालत ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 1990 में याचिका कर्ता की जमीन का अधिग्रहण किया था. अधिग्रहण के लिए उचित प्रक्रिया और कानून का पालन नहीं किया गया. प्राधिकरण ने तभी याचिकाकर्ता की जमीन को अपने कब्जे में ले लिया था. उस पर निर्माण भी कर दिया गया है. यह पूरी तरह अवैध गतिविधियां हैं. जमीन का उचित मुआवजा दिए बिना संपत्ति में बदलाव कर देना अवैधानिक है. यह उनके साथ अन्याय हुआ है.
ये है मामला
नोएडा के सेक्टर-82 में प्राधिकरण ने 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को अर्जेंसी क्लोज के तहत भूमि अधिग्रहण किया था, जिसे जमीन की मालकिन मनोरमा कुच्छल ने चुनौती दी थी. वर्ष 1990 में दायर मनोरमा की याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर 2016 को फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने अर्जेंसी क्लॉज के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया था. मनोरमा कुछ को नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत सर्किल रेट से दोगुनी दरों पर मुआवजा देने का आदेश दिया था. इसके अलावा प्रत्येक याचिका पर 5-5 लाख रुपये का खर्च आंकते हुए भरपाई करने का आदेश प्राधिकरण को सुनाया था.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Allahabad high court, Noida Authority, Noida newsFIRST PUBLISHED : May 06, 2022, 22:27 IST
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