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India In Games: भारत आज आजादी के 75 साल पूरे होने का उत्सव मना रहा ह. केन्द्र सरकार आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत हर घर तिरंगा अभियान भी चला रही है. आजादी के 75 साल में भारत ने क्रिकेट के अलावा कुश्ती, बैडमिंटन, बॉक्सिंग और निशानेबाजी जैसे खेलों में महारथ हासिल की है. भारत कुश्ती जैसे खेल में सुपरपावर बन गया है. भारत ने पिछले दो दशकों में धीरे-धीरे खेल के क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ाया है. 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद एथलीटों ने ख्याति अर्जित की है. 
हॉकी का सरताज बना भारत 
भारत इतलौता ऐसा देश है, जिसने ओलंपिक में 8 गोल्ड मेडल जीते हैं. आजादी से पहले भारतीय हॉकी टीम ने तीन गोल्ड मेडल अपने नाम किए थे, लेकिन आजादी के एक साल बाद ही भारत ने 1948 में इंग्लैंड को उसी धरती पर पटखनी देकर चारों खाने चित कर दिया था. 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 के ओलंपिक में भी गोल्ड मेडल और जीते, लेकिन उसके बाद भारतीय हॉकी का पतन शुरू हो गया. टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा किया. इसके साथ भारतीय हॉकी पुराने गौरव को पाने के लिए बेकरार है. 
फुटबॉल में जीता गोल्ड 
एशियाई स्तर पर भी भारत को कभी भी एक महाशक्ति फुटबॉल राष्ट्र के रूप में नहीं जाना गया है, लेकिन वे 1962 के एशियाई स्वर्ण पदक जीतने के लिए अपने खेल को अगले स्तर तक ले गए. उन्होंने फाइनल में दक्षिण कोरिया को 2-1 से हराया. भारत ने दुनिया को बाइचंग भूटिया और सुनील छेत्री जैसे दिग्गज फुटबॉलर दिए हैं, जो चंद गेंदों में ही मैच का रुख बदल देते हैं. 
कुश्ती में बना सुपरपावर 
कुश्ती हमेशा से ही भारत के गांव और देहातों में खेली जाती रही है. भारतीय रेसलर जब दांव लगाते हैं, तो विरोधी पहलवानों को उठना मुश्किल हो जाता है. सबसे पहले भारत को 1952 ओलंपिक में केडी जाधव ने कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था. जाधव की गिनती भारत के महान पहलवानों में होती है. फिर सुशील कुमार ने साल 2008 और साल 2012 में ब्रॉन्ज और रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया था. तब से अब तक ओलंपिक में हर बार भारतीय पहलवान मेडल जीत रहे हैं. 
निशानेबाजी है भारत की शान 
भारतीयों ने अतीत में पुरुष हॉकी में भले ही कई स्वर्ण पदक जीते हों, लेकिन यह निशानेबाज ही थे, जो व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बने. अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल प्रतियोगिता में यह उपलब्धि हासिल की. इसके बाद कॉमनवेल्थ गेम्स में भी भारतीय शूटर्स कमाल का प्रदर्शन करते हैं. भारतीय को उनसे हमेशा ही मेडल की आस होती है. 
नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास 
टोक्यो ओलंपिक में भारत के नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया. जैवलिन थ्रो में उन्होंने गोल्ड मेडल जीतकर सभी का दिल जीत लिया. वह एथलेटिक्स में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने. वह टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए सिरमौर बनकर उभरे. 
बैडमिंटन भारत की नई उम्मीद 
बैडमिंटन में साइना नेहवाल दुनिया में देश का नाम ऊंचा किया. इसके बाद ये विजय पताका पीवी सिंधु ने थामी. सिंधु ने रियो ओलंपिक में 21 साल की उम्र में सिल्वर मेडल अपने नाम किया. इसके बाद टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता. वह ओलंपिक में भारत की तरफ दो मेडल जीतने वाले पहली भारतीय महिला बनीं. वहीं, लक्ष्य सेन जैसे खिलाड़ी भी उभर रहे हैं. लक्ष्य सेन ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. 
क्रिकेट में भारत है सबसे बड़ी शाक्ति 
भारत क्रिकेट में आज बड़ी महाशाक्ति है. भारत ने वनडे वर्ल्ड कप 1983 और 2011 में जीता है. वहीं, दो बार चैंपियंस ट्रॉफी भी हासिल की है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) दुनिया का सबसे पावरफुल बोर्ड है. भारत ने दुनिया को एक से बढ़कर एक बल्लेबाज दिए हैं. इनमें सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर और महेंद्र सिंह धोनी शामिल हैं. कपिल देव की कप्तानी में 1983 वर्ल्ड कप जीतते ही भारत में क्रिकेट के सुनहरे भविष्य की नींव बन गई थी. 
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