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सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या: “रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाई पर वचन न जाई” .त्रेता युग में राजा दशरथ से महारानी कैकेयी ने दो वरदानों के रूप में राम के लिए 14 वर्ष के वनवास और भरत के लिए राजगद्दी की मांग की थी. राजा दशरथ के इस वचन का मान रखने के लिए प्रभु राम ने 14 साल का समय जंगल में बिताया. सूर्यवंश के क्षत्रिय कलयुग में भी इस प्रथा को कायम रखे हुए हैं.

अयोध्या से सटे पूरा बाजार के आस-पास के 105 गांवों के सूर्यवंशी क्षत्रियों ने 495 साल पहले एक संकल्प लिया था और उस संकल्प का पालन उनकी आगामी पीढ़ी अभी तक कर रही है. यानी की 22 जनवरी तक उस संकल्प का पालन सूर्यवंशी क्षत्रिय समाज के लोग करेंगे. 22 जनवरी को जब प्रभु राम अपने भव्य महल में विराजमान हो जाएंगे तो उनका संकल्प भी पूरा हो जाएगा.

क्या थी सूर्यवंशी क्षत्रियों की प्रतिज्ञा?गौरतलब है कि सूर्यवंशी समाज के पूर्वजों ने मंदिर पर हमले के बाद इस बात की शपथ ली थी कि जब तक मंदिर फिर से नहीं बन जाता, वे सिर पर पगड़ी नही बांधेगें, छाते से सिर नहीं ढकेंगे और चमड़े के जूते नही पहनेंगे. सूर्यवंशी क्षत्रिय अयोध्या के अलावा पड़ोसी बस्ती जिले के 105 गांव में रहते हैं. सभी ठाकुर परिवार खुद को भगवान राम का वंशज मानते हैं. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को को लेकर इन गांवों में उत्साह साफ-साफ देखा जा सकता है. गौरतलब है कि 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने राम मंदिर तोड़कर वहां बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था.

मंदिर के लिए 491 साल का संघर्ष491 साल के संघर्ष के बाद 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण करने का आदेश दिया. इसके बाद अब अयोध्या से राम जन्मभूमि से लगभग 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित सरायराशि गांव के सूर्यवंशी क्षत्रियों के चेहरे पर मुस्कान आई. वह अपने संकल्प पर अब उत्साहित भी नजर आ रहे हैं और अपने संकल्प को पूरा होते देख सर पर छतरी माथे पर पगड़ी और पांव में चमड़े का जूता धारण भी करेंगे.

कौन थे गजराज सिंह?सूर्यवंशी क्षत्रिय लाल सिंह बताते हैं 495 साल पहले 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने राम मंदिर तोड़कर वहां बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था.. उस समय हम लोग के पूर्वज बाबा गजराज सिंह ने मुगलों के साथ निरंतर लड़ाई लड़ी और अपने प्राणों की भी आहुति दी थी. इस लड़ाई और इस घटना के बाद हमारे पूर्वज ने यह संकल्प लिया था कि हम न सर पर छत्र धारण करेंगे, ना ही सिर पर पगड़ी बाधेंगे और ना ही पैर में चमड़े के जूते पहनेगे. सूर्यवंशी क्षत्रियों की यह प्रतिज्ञा भगवान राम के भव्य मंदिर में विराजमान होने तक रही लेकिन. अब 22 जनवरी को प्रभु राम अपने भव्य महल में विराजमान हो जाएंगे तो उसके बाद हम लोग अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर सर पर छत्र पांव में चमड़े के जूते और माथे पर पगड़ी लगाएंगे.
.Tags: Ayodhya News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : January 7, 2024, 17:22 IST

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