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विशाल झा. दिल्ली से सटा गाजियाबाद अपने अंदर कई इतिहास समेटे हुए है. देश की आजादी में गाजियाबाद की भी एक अहम भूमिका रही है. इसलिए ही आपको जनपद की गलियों, चौराहों और बाजारों में क्रांतिकारियों के कई स्मारक देखने को मिल जाएंगे. ये कहानी है गाजियाबाद के बेगमबाद की. मोदीनगर को पहले इसी नाम से जाना जाता था. 1857 की क्रांति के दौरान मोदीनगर के सीकरी खुर्द गांव में स्थित माता महामाया मंदिर (Mata Mahamaya Mandir ) में अंग्रेजी शासन द्वारा बेरहमी से 150 से भी ज्यादा क्रांतिकारियों को मंदिर में स्थित बरगद के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया गया था.

मंदिर में पहुंची हमारी टीम की मुलाकात हुई प्रमुख महंत देवेंद्र शास्त्री से. शास्त्री जी ने बताया की इस वृक्ष के आसपास कई वार्षिक कार्यक्रम किए जाते है. जिसमें शहीदी दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती, हिंदू नव वर्ष आदि शामिल है. यहां रोजाना शाम को दीप जलाकर क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी जाती है. इस पेड़ की काफी मान्यता है और स्थानीय लोग इसे प्राचीन बढ़ दादा के नाम से जानते है. इस पेड़ का आकार अपने आप बढ़ता जा रहा है.

मंदिर के तहखाने में छिप गए थे क्रांतिकारीइसे देखते हुए इसके चारों तरफ बॉउंड्री बनाई गई है. सुबह और शाम मंदिर समिति द्वारा पेड़ की सफाई की जाती है. इतना ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य धरोहर के रूप में इसको अपने रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया है. इतिहास से मोदीनगर गांव का नाम जुड़ा हुआ है. इतिहासकार डॉ कृष्ण कांत शर्मा ने News 18 Local को बताया कि 10 मई 1857 में मेरठ की क्रांति की शुरुआत हुई थी. तब क्रांतिकारियों के लिए दिल्ली पहुंचने के मार्ग बागपत और मोदीनगर से गुजरता था.

अंग्रेजों का जमकर विरोध कियाइन क्रांतिकारियों का साथ मोदीनगर के सीकरी खुर्द गांव वासियों ने भी दिया और अंग्रेजों का जमकर विरोध किया. ये विरोध इतना तेज था की मोदीनगर में स्थित अंग्रेजो की पुलिस चौकी भी जला दी गई थी. इसके बाद अंग्रेजी शासन ने गुस्से में सीकरी खुर्द गांव पर दलबल के साथ हमला कर दिया. बचने के लिए कुछ क्रन्तिकारी माता महामाया मंदिर के तहखाने में छिप गए.

जब अंग्रेजो को इस बात का पता चला तो एक एक क्रन्तिकारी को तहखाने से निकाल कर मंदिर प्रांगण में मौजूद बरगद के पेड़ पर फांसी चढ़ा दी गई.
.Tags: Ghaziabad News, Local18, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : August 14, 2023, 13:23 IST

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