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सृजित अवस्थी/पीलीभीत : उत्तरप्रदेश का पीलीभीत जिला वैसे तो अपने तराई के खूबसूरत जंगलों व बाघों के लिए देश-दुनिया में एक अलग ही पहचान बना रहा है. लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि बीते कुछ महीनों में जिले में हुई मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी देशभर में सुर्खियां बनी हैं.

पीलीभीत जिले की भौगौलिक पृष्टभूमि की बात की जाए तो यह शिवालिक पर्वतमाला की तराई में बसा शहर है. जिले का तकरीबन एक तिहाई इलाका वन क्षेत्र है. 73000 हेक्टयर में फैला यह वन क्षेत्र रिजर्व फॉरेस्ट है. 2014 में टाइगर रिजर्व की घोषणा के बाद से जंगल की निगरानी और वन्यजीवों के संरक्षण पर विशेष जोर दिया गया. नतीजतन यहां वन्यजीवों का कुनबा समय के साथ बढ़ता गया. अगर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के आंकड़ों की बात की जाए तो सन 2018 में यहां बाघों की संख्या 65 थी. ये संख्या सन 2014 में 27, वहीं सन 2012 में महज 14 थी. 2023 में यह आंकड़ा 85 के पार होने का अनुमान है.

आबादी का रुख कर रहे जंगली जानवर अब इसे जंगल की हदों में इंसानी दखल कहा जाए या फिर जंगल की सरहद की सुरक्षा के जिम्मेदारों की लापरवाही. वन्यजीव व इंसान दोनों ही एक दूसरे के इलाकों में घुसपैठ पर आमादा रहते हैं. वहीं इसका खामियाजा जंगल से सटे इलाकों में रहने वाली आबादी को भुगतना पड़ता है. अगर बीते 6 महीने की बात की जाए तो बाघ के हमले में 4 ग्रामीण अपनी जान गंवा चुके हैं.ऐसा लग रहा है की यूपी के पीलीभीत में जानवरों का जंगलराज स्थापित हो गया है.

कलीनगर तहसील में बाघ का आतंकपीलीभीत जिले में कुल 5 तहसील स्थित हैं. इन 5 तहसीलों में एक भी ऐसी तहसील नहीं हैं जहां आबादी में वन्यजीवों की मौजूदगी न देखी जाती हो. ज़िले की कलीनगर तहसील बीते 6 महीने से बाघ के आतंक से जूझ रही है. बाघों के हमले में अधिकांश मौतें यहीं हुई हैं. वहीं बीते दिनों हाथी के हमले में 2 किसानों की जान गई है.

जहानाबाद इलाके में सियारों का तांडवअगर पीलीभीत सदर तहसील की बात करें तो यहां बीती 1 दिसम्बर को बाघ के हमले में एक युवती घायल हो चुकी है. अमरिया तहसील में भी पूर्व के दिनों में एक खेत मजदूर बाघ का निवाला बन चुका है. इसके साथ ही तहसील के जहानाबाद इलाके में आए दिन सियार लोगों पर हमलावर होते रहते हैं. पूरनपुर व बीसलपुर तहसील में भी बीते दिनों में लगातार बाघ व तेंदुए की मौजूदगी देखी गई है.

हाथी और गेंडे भी बने आतंक का पर्यायपीलीभीत ज़िले की कलीनगर तहसीलें में स्थित लग्गाभग्गा इलाका नेपाल की सीमा से सटा है. वहीं यह इलाका हाथियों का पारंपरिक कॉरिडोर भी है. कॉरिडोर पर इंसानी दखल के चलते आए दिन हाथी व गेंडे आबादी में पहुंच जाते हैं. ऐसे में किसानों को भारी मात्रा में फसल का नुकसान उठाना पड़ता है.
.Tags: Local18, Pilibhit news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : December 18, 2023, 22:03 IST

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