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विशाल झा/गजियाबाद. शहर में रामलीला की रौनक देखने को मिल रही है. गाजियाबाद की सबसे प्राचीन रामलीला जिले के घंटाघर रामलीला मैदान में आयोजित होती है. इन दिनों इस सड़क पर टेंट, झूले और तारों का झुंड देखने को मिल रहा है. दरअसल, जिले की सबसे पुरानी रामलीला को भव्य बनाने के लिए जोरों से तैयारी की जा रही है.

गजियाबाद निवासियों के मुताबिक शहर की रामलीला यही से शुरू होती है. लगभग 80 वर्षों से भी ज्यादा सुल्लामल रामलीला कमेटी द्वारा मेले और लीला मंचन का आयोजन किया जा रहा है. फिलहाल पार्क में कारीगरों द्वारा रावण का पुतला बनाया जा रहा है. इसके अलावा मंचन में शामिल होने वाला धनुष, राम बारात के लिए बग्गी को भी सजाया जा रहा है.

60 फीट का रावण का पुतलासुल्लामल रामलीला कमेटी के अध्यक्ष वीरेंद्र ने बताया कि हमारे वहां रामलीला मंचन को जनता के सामने अच्छे तरीके से प्रस्तुत करने के लिए दिल्ली के थिएटर आर्टिस्ट आते है. इसके अलावा इस बार मेले में फूड जोन, एंटरटेनमेंट जोन और कई सेल्फी पॉइंट्स भी बने जाएंगे. सुरक्षा की दृष्टिकोण से सीसीटीवी कैमरे, खोया -पाया केंद्र और गाजियाबाद पुलिस के वॉच टावर भी मेले में लगाए जाएंगे. शहर की सबसे पुरानी रामलीला होने के कारण यहां घूमने वालों का तांता लगा रहता है. दशहरा के दिन भी सुरक्षा व्यवस्था चुस्त रहेगी. इस बार सुल्लामल रामलीला कमेटी द्वारा 60 फीट का रावण तैयार किया जा रहा है.

सुल्लामल ने लिखी थी एक नई रामायणसुल्लामल रामलीला इस बार शहर में अपनी 123वीं रामलीला का मंचन करने जा रहा है. इस रामलीला के संस्थापक सुल्लामल ने वर्ष 1900 में गाजियाबाद में रामलीला की नींव रखी थी. उस्ताद सुल्लामल ने अपने नौ शागिर्दों के साथ रामलीला की शुरुआत की थी. तब रामलीला के सभी पात्र यह शागिर्द ही निभाया करते थे. उस्ताद सुल्लामल ने सन 1900 के करीब रामायण लिखी थी. उसे जमाने में उस्ताद की लिखी रामायण से ही पाठ किया जाता था. रामलीला के पात्र भी इसी रामायण पर आधारित हुआ करते थे. लेकिन करीब 80 साल पहले उस्ताद सुल्लामल की लिखित रामायण के गुम हो जाने के बाद रामचरित्र मानस रचित रामायण से ही रामलीला का मंचन किया जा रहा है.
.Tags: Ghaziabad News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : October 5, 2023, 23:09 IST

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