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हाइलाइट्सबीजेपी को राम मंदिर का मुद्दा और रामभक्तों की पार्टी बनाने में कल्याण सिंह की अहम भूमिकाकल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री की कुर्सी का बलिदान देकर पार्टी को राम भक्तों की पार्टी बना दियालखनऊ. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह की आज 92वीं जयंती है. आज कल्याण सिंह को न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरी दुनिया भी इसलिए याद कर रही है क्योंकि 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इस बात का जिक्र आज इसलिए भी अहम है, क्योंकि बीजेपी को राम मंदिर का मुद्दा और रामभक्तों की पार्टी बनाने में कल्याण सिंह की अहम भूमिका रही. यह वह दौर था, जब बीजेपी को सवर्णों की पार्टी कहा जाता था और OBC समाज से आने वाले कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री की कुर्सी का बलिदान देकर पार्टी को राम भक्तों की पार्टी बना दिया.

आज 5 जनवरी 2024 को जब हम कल्याण सिंह को याद कर रहे हैं, तो इस बात का जिक्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जब 6 दिसंबर 1992 को बीजेपी के बड़े नेता लाल कृष्णा आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार समेत अन्य विवादित ढांचा यानी बाबरी मस्जिद पर कारसेवा के लिए पहुंचने वाले थे. उस समय प्रदेश की कमान कल्याण सिंह के हाथों में थी. 6 दिसंबर को जब विवादित ढांचा ढहाई गई, उस वक्त कल्याण सिंह अपने ऑफिस में थे. उनके पास तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव सरकार की तरफ से फोन भी आया था. तत्कालीन गृहमंत्री शंकरराव चव्हाण ने उस वक्त के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह को फोन किया था. साथ ही आदेश दिया था कि कारसेवकों को रोका जाए. लेकिन उस वक्त कल्याण सिंह ने लिखित आदेश दिया था कि कारसेवकों पर गोलियां नहीं चलेंगी, चाहे इसके लिए मुझे कितनी बार भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़े.

तत्कालीन गृहमंत्री को दिया था ये जवाबकल्याण सिंह ने खुद इस बात का जिक्र किया कि जिस दिन विवादित ढांचा ढहाया गया, वे अपने कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर थे. उनके पास दिल्ली से लगातार फोन आ रहे थे. जब उन्होंने फ़ोन पर बात की तो केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि ‘सूचना है कि कारसेवक बाबरी मस्जिद की तरफ बढ़ रहे हैं, उन्हें रोका जाए.’ कल्याण सिंह ने उस वक्त दो टूक शब्दों में जवाब दिया था. ‘आपके पास सूचना देर से पहुंची है, कारसेवक बाबरी मस्जिद पर चढ़ चुके हैं, और मैं गोली चलाने का आदेश नहीं दूंगा.’ इसके बाद उन्होंने पूरी घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

हेमंत शर्मा की किताब में भी इसका जिक्रइसका जिक्र हेमंत शर्मा की किताब ‘अयोध्या का चमश्दीद’ में भी है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि 6 दिसंबर को अयोध्या में जो कुछ भी हुआ, उसकी जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने खुद लिया था. उन्होंने यूपी के तत्कालीन डीजीपी को आदेश दिया था कि कोई गोली नहीं चलाई जाएगी. जिसके बाद केंद्रीय सुरक्षा बल भी पीछे हो गए थे. कल्याण सिंह इस बात का जिक्र अपने आखिरी समय तक करते रहे. इतना ही नहीं, यह कल्याण सिंह की कुर्बानी ही थी कि बीजेपी राम भक्तोंकी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई.

.Tags: Ayodhya ram mandir, Kalyan SinghFIRST PUBLISHED : January 5, 2024, 13:08 IST

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