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मऊ. मैं तमसा नदी हूं, उत्तर प्रदेश के मऊ जिले (Mau Assembly Constituency) की दक्षिणी सीमा को स्पर्श करती हूं. प्राचीन काल से प्रवाहमान हूं. कई युगों से न जाने कितनी जलराशि मेरे अन्त:स्थल से गुजर चुकी है. मेरी धारा में धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक इतिहास के प्रतिबिम्ब हैं, जो नवीनतम प्रतिबिम्ब है वह 2022 के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections 2022) का है. मऊ का प्राचीन इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है लेकिन आज के मऊ को मुख्तार अंसारी की वजह से जाना जाता है. 40 से अधिक आपराधिक मामलों के आरोपी मुख्तार अंसारी पांच बार मऊ से विधायक रहे हैं लेकिन 2022 का चुनाव वे नहीं लड़ेंगे. अब मुख्तार के पुत्र अब्बास अंसारी मऊ में अपने पिता की विरासत संभालेंगे. वे समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से चुनाव लड़ रहे हैं.
2017 में बिहार के राज्यपाल फागु चौहान ने अब्बास का राजनीतिक सपना तोड़ दिया था. उस समय अब्बास ने घोसी से चुनाव लड़ा था. तब फागु चौहान ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में अब्बास अंसारी को करीब सात हजार मतों से हरा दिया था. घोसी की विधायकी छोड़ कर ही फागु चौहान बिहार के राज्यपाल बने थे. उनके इस्तीफा देने के बाद जब घोसी में उपचुनाव हुआ तो एक बार फिर भाजपा (विजय राजभर) की जीत हुई. स्थितियों के आकलन के पश्चात अब्बासी अंसारी ने घोसी की बजाय मऊ सदर से चुनाव लड़ना बेहतर समझा. मैं तमसा नदी हूं. मेरे विचार में मुख्तार अंसारी का चुनाव नहीं लड़ना और अब्बास अंसारी का घोसी से मऊ जाना, एक नये राजनीतिक परिवर्तन का संकेत है. 2022 के चुनावी परिदृश्य के वर्णन के पहले मऊ जिले का परिचय करा दूं.

संत तुलसी दास जी ने किया है तमसा नदी का उल्लेख

मैं तमसा नदीं हूं. मऊ में मेरी मौजूदगी का उल्लेख संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में किया है. उन्होंने लिखा है, रामचंद्र जी ने जब वनवास के लिए प्रस्थान किया था तो उन्होंने पहली रात तमसा नदी के तट पर गुजारी थी.

बालक वृद्ध बिहाई गृह। लगे लोग सब साथ।।
तमसा तीर निवासु किय। प्रथम दिवस रघुनाथ।।

तमसा नदी, यानी मैंने यह दुर्लभ सौभाग्य प्राप्त किया. जनश्रुति के अनुसार श्रीराम का विश्रामस्थाल देवलास का तमसा तट था. उस समय मैं (तमसा नदी) देवलास को छू कर प्रवाहित होती थी. आज मैं मऊ के दक्षिणी भाग को स्पर्श कर गुजरती हूं. देवलास अब मोहम्मदाबाद तहसील में है. मऊ से इसकी दूरी करीब 30 किलोमीटर है. एक अन्य जनश्रुति है कि रामचंद्र जी ने देवलास में भगवान सूर्य की आराधना की थी और सूर्य मंदिर की आधारशिला रखी थी.

देवलास का सूर्य मंदिर भारत के पांच बड़े सूर्य मंदिरों में एक है. आज भी यहां छठ पूजा के समय बड़ा मेला लगता है. देवलास महर्षि देवल की तपोभूमि थी. मध्यकाल में यहां शेरशाह सूरी आए. शाहजहां की बेटी जहांआरा ने यहां शासन किया. अंग्रेजों के जमाने (1801) में आजमगढ़ और मऊ गोरखपुर जनपद का हिस्सा थे. 1932 में आजमगढ़ जिला बना. 1988 में आजमगढ़ जिले के आठ ब्लॉक और बलिया जिले के रतनपुरा ब्लॉक को मिला मऊ नया जिला बना. उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी थे. मऊ को जिला बनाने में स्थानीय सांसद और तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री कल्पनाथ राय की बड़ी भूमिका थी. वे इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिंह राव की सरकार में मंत्री रहे थे.

मऊ सदर का चुनावी परिदृश्य

मैं तमसा नदी, अब मऊ जिले के राजनीतिक परिदृश्य का वर्णन कर रही हूं. इस जिले में चार विधानसभा क्षेत्र हैं. घोसी, मधुबन, मुहम्मदाबाद गोहना और मऊ सदर. मऊ सदर से अभी मुख्तार अंसारी विधाययक हैं. बसपा के टिकट पर जीते थे. लेकिन इस बार वे चुनाव नहीं लड़ेंगे. उनकी जगह उनके बेटे अब्बास अंसारी सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. अब्बास को सुहेलदेल भारतीय समाज पार्टी का भी समर्थन प्राप्त है. अब्बास का मुकाबला भाजपा के अशोक सिंह से है. अशोक सिंह के परिवार की मुख्तार अंसारी से जानी दुश्मनी है. अशोक सिंह के भाई ठेकेदार मन्ना सिंह की हत्या का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगा था. लेकिन इस केस में सबूतों के अभाव में वे बरी हो गये थे. कई लोगों का कहना है कि चूंकि मन्ना सिंह के पीड़ित परिवार को इंसाफ नहीं मिला इसलिए जनता की सहानुभूति उनके साथ है. अशोक सिंह अपने साथ हुए अन्याय की याद दिला कर वोट मांग रहे हैं. मुख्तार अंसारी पर पूर्व विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का भी आरोप है.

जब अलका राय ने प्रियंका गांधी को लिखी थी चिट्ठी

कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय अभी गाजीपुर जिले की मुहम्मदाबाद सीट से भाजपा की विधायक हैं. (मुहम्मदाबाद दो हैं, एक गाजीपुर में एक मऊ में) जनवरी 2021 में अब्बास अंसारी की शादी की तस्वीरें सार्वजनिक हुई थीं. तब इस बात की चर्चा थी कि अब्बास की शादी के कार्यक्रम राजस्थान और पंजाब में आयोजित किये गये थे. अब्बास उस समय फरार था और उत्तर प्रदेश पुलिस ने उस पर 25 हजार रुपये का इनाम रखा था. अब्बास पर जमीन कब्जा करने का आरोप था. मुख्तार अंसारी उस समय पंजाब के रोपड़ जेल में बंद थे. तब विधायक अलका राय ने 30 जनवरी 2021 को प्रियंका गांधी को एक पत्र लिखा था. उन्होंने पत्र में लिखा था, एक महिला होने के नाते उम्मीद करती हूं कि आप मेरे दर्द को समझेंगी. मेरे पति के हत्यारोपी को पंजाब सरकार ने और उसके बेटे को राजस्थान सरकार ने अतिथि बना रखा है. मुख्तार अंसारी के बेटे की शादी की तस्वीरें अखबारों में छपी हैं. कांग्रेस सरकारों द्वारा ऐसे आरोपियों को संरक्षण देने से मैं बहुत आहत हूं. यानी इस बार मऊ सदर में भावनात्मक मुद्दा भी चुनाव को प्रभावित करेगा.

बिहार के राज्यपाल की सीट थी घोसी

घोसी सीट पर 2017 में भाजपा के फागु चौहान जीते थे. अब वे बिहार के राज्यपाल हैं. विजय राजभर भाजपा के मौजूदा विधायक हैं जिनका मुकाबला सपा के दारा सिंह चौहान से है. दारा सिंह चौहान पहले भाजपा में थे और मऊ जिले की मधुबन विधानसभा सीट से विधायक चुने गये थे. वे योगी सरकार में मंत्री थे. लेकिन चुनाव से पहले भाजपा छोड़ कर वे सपा में शामिल हो गये. अब सपा ने उन्हें घोसी से उम्मीदवार बनाया है. मुहम्मदाबाद गोहना सीट से भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक और मंत्री श्रीराम सोनकर का टिकट काट कर एक शिक्षक पूनम सरोज को उम्मीदवार बनाया है. वे पहली बार चुनाव लड़ रही हैं. पूनम सरोज का मुकाबला सपा के बैजनाथ पासवान से है. बैजनाथ पासवान यहां से 2002 में चुनाव जीत चुके हैं. चूंकि मधुबन के भाजपा विधायक दारा सिंह चौहान सपा में चले गये, इसलिए इस सीट पर भाजपा ने रामविलास चौहान को उम्मीदवार बनाया है. राम विलास चौहान, बिहार के राज्यपाल फागु चौहान के पुत्र हैं. इस सीट पर सपा के सिंबल पर दो उम्मीदवारों ने नामांकन किया है. सुधाकर सिंह और उमेश पांडेय, दोनों खुद को सपा उम्मीदवार बता रहे हैं. अब 18 फरवरी को नाम वापसी के आखिरी दिन पता चलेगा कि सपा का वास्तविक उम्मीदवार कौन है. (डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

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