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नोएडा. भारतीय जनता पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव (UP Election Result 2022) में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 15 सीटें हारने के बावजूद क्षेत्र के लगभग 70 प्रतिशत निर्वाचन क्षेत्रों पर बढ़त हासिल की है. वहीं, समाजवादी पार्टी और उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल ने भी इस क्षेत्र में सीटों के मासले में वृद्धि दिखाई है. भाजपा (BJP) ने आगरा, मथुरा, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर जैसे कुछ जिलों में सभी सीटों पर जीत हासिल की, तो वहीं विपक्षी गठबंधन ने भी शामली और मुरादाबाद में शत-प्रतिशत जीत हासिल की और मुजफ्फरनगर और मेरठ में अच्छा प्रदर्शन किया.
2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की 403 सीटों में से 300 से अधिक सीटों पर जीत हासिल की थी. पार्टी ने इस साल 255 सीटों पर जीत हासिल की है. जबकि सपा ने अपने सहयोगियों के साथ राज्य की 125 सीटों पर जीत दर्ज की, जो उसके पिछली चुनावी जीत से लगभग दोगुनी है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसा रहा हाल 2017 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 24 जिलों की 126 सीटों में से भाजपा ने 100 (या 79 फीसदी) सीटें जीती थीं. इस बार उसका आंकड़ा 85 (या 67 फीसदी) रहा. सपा और रालोद ने मिलकर क्षेत्र की 126 सीटों में से 41 (या 32 प्रतिशत) पर जीत हासिल की. जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली रालोद, जो 2017 के चुनावों में एक सीट पर सिमट गई थी, इस बार 33 सीटों पर लड़ी और उनमें से आठ पर जीत हासिल की है.
इसके अलावा भाजपा शामली जिले की सभी तीन सीटों पर हार गई, जिसमें थाना भवन से एक मौजूदा मंत्री की सीट, मेरठ की सात सीटों में से चार और मुजफ्फरनगर की छह सीटों में से चार शामिल हैं, यह तीनों जाट बहुल जिले हैं. भाजपा को मुरादाबाद की सभी छह सीटों, रामपुर और संभल, दोनों जिलों की चार में से तीन सीटों पर भी हार का सामना करना पड़ा है.
आगरा, मथुरा, अलीगढ़ समेत यहां बजा भाजपा का डंकाभाजपा आगरा, मथुरा, अलीगढ़, बुलंदशहर, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर जैसे जिलों में पूरी तरह से जीत हासिल करने में सफल रही. चुनावी पर्यवेक्षकों के अनुसार, भाजपा ने इन जिलों में जीत इस विचार को नकारते हुए हासिल की कि हाल के किसान आंदोलन का पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभाव पड़ा है. बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और अन्य को इस क्षेत्र में एक भी सीट नहीं मिली.
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश को लेकर कोई आधिकारिक सीमांकन नहीं है. इस क्षेत्र के लिए राजनीतिक दलों के अलग-अलग संगठनात्मक ढांचे और वर्गीकरण हैं. हालांकि इटावा के पश्चिम में स्थित 24 जिलों में 126 विधानसभा क्षेत्रों को आमतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश माना जाता है. ये 24 जिले हैं आगरा, मथुरा, अलीगढ़, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़, मुजफ्फरनगर, शामली, गौतम बुद्ध नगर, अमरोहा, बदायूं, बरेली, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, सहारनपुर, संभल, शाहजहांपुर, हाथरस, एटा, कासगंज और फिरोजाबाद हैं. इन सीटों पर राज्य में सात दौर के चुनाव के पहले तीन चरणों में मतदान हुआ था.
भाजपा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मोहित बेनीवाल ने कहा कि मतदाताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में अपना विश्वास जताया है क्योंकि यह चुनाव देश का भविष्य तय करने के लिए है. बेनीवाल ने कहा, ‘राज्य में विकास हुआ, 2017 से कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी की केंद्रीय योजनाएं और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की योजनाएं प्रभावी ढंग से लोगों तक पहुंचीं. लोगों ने उसके लिए वोट दिया. जबकि विपक्ष ने गलत सूचना फैलाने और अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की.’
उनका मानना ​​था कि पार्टी को महिलाओं, युवाओं और किसानों सहित सभी क्षेत्रों से वोट मिले. उन्होंने ऊपर से जमीनी स्तर तक संगठन के ढांचे को मजबूत करने का श्रेय पार्टी नेताओं को दिया. 2017 में भाजपा की सीटों की संख्या 100 से घटकर 85 पर आने और एक मंत्री की हार पर, उन्होंने कहा कि पार्टी के उम्मीदवारों को कुछ सीटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन कुल मिलाकर भाजपा को राज्य का लोकप्रिय जनादेश मिला.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 126 सीटों में से 41 पर सपा और आरएलडी को जीत मिली है.

रालोद ने कही ये बात रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता संदीप चौधरी ने 2017 में सिर्फ एक से आठ सीटों तक पहुंचने के बाद अपनी पार्टी के प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि गठबंधन 2013 के दंगों के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उभरे सांप्रदायिक विभाजन को पाटने के अपने उद्देश्य में काफी हद तक सफल रहा है.चौधरी नेकहा, ‘हम लोगों को अपनी बात पहुंचाने में पूरी तरह से सफल नहीं रहे. हो सकता है, अगर हमें ऐसा करने के लिए कुछ और समय मिलता, तो चुनाव के नतीजे काफी बेहतर होते. हालांकि इस बार हमारी सीटों की कुल संख्या में सुधार हुआ है और भाजपा को कुछ सीटें गंवानी पड़ी हैं. यह दिखाता है कि हमने कैसा प्रदर्शन किया. हम भविष्य में कड़ी मेहनत करेंगे.’
प्रतिद्वंद्वी बसपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कोई सीट नहीं मिलने पर, रालोद के प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि मायावती को ब्लैकमेल किया जा रहा है और वह 2016 की नोटबंदी के बाद से भाजपा की ‘कठपुतली’ के रूप में काम कर रही हैं. उन्होंने दावा किया, ‘एक धारणा बनाई गई थी कि बसपा अपने टिकट बेचती है, लेकिन भाजपा ने समाजवादी पार्टी को जीतने से रोकने के लिए बसपा के टिकट वितरण का फैसला किया.’
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भाजपा को इस बात का मिला फायदाक्षेत्रीय चुनावी राजनीति के पर्यवेक्षकों के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बेहतर कानून व्यवस्था की धारणा, मुफ्त राशन का वितरण, पेंशन और भत्तों का सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में अंतरण, भाजपा के पक्ष में काम करता प्रतीत होता है.बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और जाति समीकरण जैसे अन्य मुद्दों के कारण कुछ हिस्सों में भाजपा विरोधी भावना ने विपक्षी दलों को 2017 के राज्य चुनावों की तुलना में 2022 में इस क्षेत्र में लगभग दोगुनी सीटें हासिल करने में मदद की.यूपी विधानसभा चुनाव 2022, ब्रेकिंग हिंदी न्यूज़, लाइव न्यूज अपडेट सबसे पहले News18 India पर। आज की ताजा खबरें, विश्लेषण, पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की खबरें पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी पर |Tags: Akhilesh yadav, CM Yogi Adityanath, Jayant Chaudhary, UP election results, UP Election Results 2022

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