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नई दिल्ली: किसी भी क्रिकेटर के लिए नेशनल टीम की कप्तानी करना आसान नहीं होता. इस पोस्ट पर रहते हुए उसे खुद की और टीम की परफॉरमेंस की जिम्मेदारी उठाने पड़ती है, लेकिन उसके करियर में एक वक्त ऐसा भी आता है जब उसे कैप्टनसी के रोल से खुद को अलग करते हुए अपने प्रदर्शन पर ध्यान देना होता है. विराट कोहली (Virat Kohli) के साथ शायद ऐसा ही हुआ है ताकि उनका वर्कलोड कप हो सके.

इन 5 इंडियन प्लेयर्स पर नहीं पड़ा कप्तानी छोड़ने का फर्क
विराट कोहली (Virat Kohli) ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में 1-2 से करारी हार के बाद टीम इंडिया की टेस्ट कप्तानी से इस्तीफा दे दिया. हालांकि इसे उनके करियर का अंत समझना गलत होगा. अब वो अपनी बल्लेबाजी पर फोकस करते हुए बेहतरीन परफॉरमेंस दे सकते हैं. आज हम उन 5 भारतीय खिलाड़ियों जिनका करियर कप्तानी छोड़ने के बाद भी लंबा खिंच गया.

1.सचिन तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को साल 1996 में वर्ल्ड कप के बाद टीम इंडिया की जिम्मेदारी मिली थी लेकिन वर्ल्ड कप 1999 से पहले वो वनडे और साल 2000 में टेस्ट कप्तानी से हट गए क्योंकि सचिन इस रोल में ज्यादा कामयाब नहीं हो पा रहे थे. कैप्टनसी छोड़ने के बाद उनकी परफॉरमेंस में जबरदस्त सुधार देखने को मिला उन्होंने बल्लेबाजी के बेशुमार वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाए और फिर करीब 13 साल तक उनका करियर चला. उन्होंने 2013 में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया. 

2. कपिल देव
कपिल देव (Kapil Dev) की गिनती टीम इंडिया के महानतम कप्तानों में की जाती है क्योंकि उन्होंने भारत को पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनाया था. साल 1993 में उन्हें वर्ल्ड कप से ठीक पहले कैप्टनसी सौंपी गई थी और 1987 में वो इस रोल से अलग हुए. फिर 1994 तक वो इंटरनेशल क्रिकेट खेलते रहे और टेस्ट में 434 विकेट लेने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. कप्तानी छोड़ने के करीब 7 साल तक उनका करियर खिंचा. 

3. राहुल द्रविड़ 
‘टीम इंडिया की दीवार’ राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) को साल 2005 में फुल टाइम कप्तानी मिली थी लेकिन जब टीम इंडिया वर्ल्ड कप 2007 में पहले दौर से बाहर हो गई तो उन्होंने कप्तानी छोड़ दी, लेकिन यहां उनके करियर का अंत नहीं हुई वो अगले 5 साल तक टेस्ट क्रिकेट खेलते रहे और 2012 में रिटायर हो गए. 

4. सौरव गांगुली 
सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने साल 2000 में कप्तानी सौंपी गई थी उनकी कप्तानी में टीम इंडिया आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2002 की ज्वाइंट विनर रही और वर्ल्ड कप 2003 के फाइनल में पहुंचाया था. 2005 में कोच ग्रेग चैपल के साथ विवाद के बाद उन्हें कप्तानी से हटा दिया गया और वो टीम से भी बाहर हो गए. फिर उन्होंने वापसी की और 2008 तक टेस्ट क्रिकेट खेलते रहे. कप्तानी छोड़ने के 3 साल तक उनका करियर चला. 

5. दिलीप वेंगसरकर 
दिलीप वेंगसरकर (Dilip Vengsarkar) ने 1987 में कप्तानी संभाली थी और 1989 तक इस पोस्ट पर बने रहे. कैप्टनसी छोडने के अगले 3 साल तक वो इंटरनेशनल क्रिकेट खेलते रहे. 5 फरवरी 1992 को ऑस्ट्रेलिया (Australia) के खिलाफ उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट खेला था. 

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