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रिपोर्ट- विशाल भटनागरमेरठ. भारत की आन बान और शान का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लाल किले से लेकर हर गांव शहर और घर घर फहराया जाता है. तिरंगा हमें अपनी आजादी और गौरव का अहसास कराता है. और जरा सोचिए आप कैसा महसूस करेंगे जब आप वो तिरंगा देखेंगे जो 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर फहराया गया था. आइए आपको बताते हैं उसी ध्वज की कहानी.

देश भर में शासन के मानकों के अनुसार आन बान शान का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज तैयार किया जाता है. लेकिन तिरंगे की उस धरोहर की बात ही कुछ निराली है जो देश आजाद होने के बाद पहली बार लाल किले पर आजादी के जश्न में फहराया गया था. उस तिरंगे का निर्माण क्रांति धरा मेरठ में किया गया था. ये ध्वज दो दिन तक कारीगरों ने तैयार कर क्रांति कार्यों की समिति को सौंपा था.

मेरठ में बना था पहला ध्वजआजादी के बाद लाल किले पर फहराया गया वो राष्ट्रीय ध्वज जिन लोगों ने तैयार किया था उनमें स्व: नत्थे सिंह भी शामिल थे. उनके बेटे रमेश बताते हैं-उस ध्वज को तैयार करने में सिलाई से लेकर अन्य बिंदुओं का कार्य उनके पिताजी स्व. नत्थे सिंह ने ही किया था. वो याद करते हैं उनके पिताजी नत्थे सिंह बताते थे दिल्ली से कमेटी के लोग मेरठ के क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम आए थे. कमेटी ने राष्ट्रध्वज तैयार करने की बात कही थी. उस समय लाइट नहीं होती थी. इसलिए दिन-रात कार्य करते हुए लालटेन की रोशनी में ही राष्ट्रध्वज की सिलाई सहित अन्य सभी कार्यों को मानक के अनुसार पूरा किया गया था. उसके बाद समिति के सदस्य को राष्ट्रध्वज सौंप दिया गया था. उसी राष्ट्रध्वज को प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर फहराया था.

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बेटे ने सहेजी- पिता की विरासतरमेश ने बताया उनके पिताजी और ताऊजी ने जो काम शुरू किया था. उसे वह खुद भी निभा रहे हैं. 35 साल से वह लगातार राष्ट्रध्वज सिलकर तैयार कर रहे हैं. रमेश कहते हैं मैं गर्व महसूस करता हूं कि मेरे पिता ने ये महत्वपूर्ण कार्य किया. इसलिए मैं आज भी देश की आन बान शान के इस पवित्र काम में जुटा हुआ हूं.
.Tags: Local18, Meerut city news, Republic Day CelebrationFIRST PUBLISHED : January 27, 2024, 01:16 IST

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