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शाश्वत सिंह/ झांसी: आज के समय में मोबाइल हर व्यक्ति तक पहुंच चुका है. स्थिति यह है कि 6 महीने के बच्चों के भी हाथ में मोबाइल रहता है. मोबाइल जो कभी मददगार हुआ करता था वह अब धीरे-धीरे घातक बनता जा रहा है. माता-पिता अपने बच्चों के हाथ मोबाइल तो दे देते हैं लेकिन वह यह नहीं समझ रहे की मोबाइल उनके बच्चों को मानसिक रूप से विकलांग बनता जा रहा है. पिछ्ले कुछ समय में वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual autism) की बीमारी 2 साल से कम उम्र के बच्चों में तेजी से फैलती जा रही है.मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. सिकाफा जाफरीन ने बताया कि आजकल माता-पिता अपने बच्चों को मोबाइल दे देते हैं. मोबाइल की वजह से बच्चों में अजीब से परिवर्तन हो रहे हैं. अगर आपका बच्चा 2 साल का हो जाने के बाद भी ठीक से बोल नहीं पाता है, अक्सर चिड़चिड़ा रहता है, अपने परिवार के लोगों को भी नहीं पहचानता है, नाम लेने पर आपकी तरफ नहीं देखता है, किसी से नजर नहीं मिलता है, रिस्पांस नहीं करता है, एक ही काम को बार-बार दोहराता है, तो आपको अलर्ट हो जाना चाहिए. आपका बच्चा वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार बनता जा रहा है. यह बीमारी इतनी घातक है कि आपके बच्चे को मानसिक रूप से विकलांग भी कर सकती है.माता-पिता के पास ही है समाधानडॉ. सिकाफा ने बताया कि इस बीमारी का इलाज भी डॉक्टर से कहीं अधिक माता-पिता के हाथ में है. अपने बच्चों को ठीक करने के लिए माता-पिता को स्वयं के अंदर भी कुछ परिवर्तन करने होंगे. सबसे पहले तो अपने बच्चों से बात करना शुरू करें. अपना रवैया पूरी तरह पॉजिटिव रखें. बच्चों को खेलने के लिए सिर्फ कहने की बजाय खुद उसके साथ खेलिए. क्रिएटिव एक्टिविटी जैसे म्यूजिक और आर्ट में बच्चों को शामिल कीजिए. खुद उनके साथ ड्राइंग बनाने बैठिए. बच्चों के स्क्रीन टाइम को रिस्ट्रिक्ट कीजिए. उनके स्लीपिंग पैटर्न को ठीक करने का प्रयास कीजिए. बच्चों को पूरा टाइम दीजिए और सब्र के साथ धीरे-धीरे उन्हें ठीक करिए. इन चीजों का पालन करने से बच्चा धीरे-धीरे मोबाइल से दूर होकर बाकी चीजों में ध्यान लगाना शुरू कर देगा..FIRST PUBLISHED : August 30, 2023, 11:45 IST

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