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IND vs WI, Prithvi Shaw Statement: भारतीय क्रिकेट टीम 12 जुलाई से वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज खेलने उतरेगी. दोनों टीमों के बीच पहले 2 टेस्ट मैच खेले जाएंगे, जिसके बाद 3 वनडे और 5 टी20 इंटरनेशनल मैचों का आयोजन होगा. इस बीच एक खिलाड़ी ऐसा है जिसे किसी भी फॉर्मेट में जगह नहीं मिली है. उसी ने अपने अंदाज पर बात रखी है. 
सेलेक्शन रेस में पिछड़ा ये स्टारअपने करियर की शानदार शुरुआत के बाद पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) अब भारतीय टीम में जगह बनाने की रेस में काफी पिछड़ गए हैं. मुंबई के इस युवा खिलाड़ी ने शनिवार को कहा कि वह भारतीय टीम में अपनी जगह वापस हासिल करने के लिए अपने ‘आक्रामक’ खेल पर भरोसा करना जारी रखेंगे. पृथ्वी ने भारत के लिए अपना पिछला मैच जुलाई 2021 में कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ टी20 के तौर पर खेला था. तब से वह किसी भी फॉर्मेट में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाए हैं.
‘नहीं बदलूंगा अंदाज’
पृथ्वी शॉ ने सेंट्रल जोन और वेस्ट जोन के बीच खेले गए दलीप ट्रॉफी के मैच के बाद कहा, ‘व्यक्तिगत तौर पर मैं ऐसा नहीं मानता हूं कि मुझे अपने खेल में बदलाव करने की जरूरत है. मैं अपने खेल में समझदारी के साथ सुधार कर सकता हूं. मैं (चेतेश्वर) पुजारा सर की तरह बल्लेबाजी नहीं कर सकता या पुजारा सर मेरी तरह. मैं उसी चीज को करने की कोशिश कर रहा हूं जिसकी मदद से यहां तक पहुंचा हूं जैसे मेरी आक्रामक बल्लेबाजी. मैं इसमें बदलाव नहीं करना चाहता हूं.’
हर रन की है अहमियत
वेस्ट जोन के इस ओपनर ने कहा कि वह अपने करियर के इस चरण में ज्यादा से ज्यादा मैच खेलना चाह रहे हैं. 23 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि भारतीय टीम में वापसी की कोशिश के तहत उनके लिए हर रन बहुत अहम होगा. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि इस समय मुझे जिस मैच में भी खेलने का मौका मिल रहा है, वह काफी अहम है. मैं दलीप ट्रॉफी में खेलूं या मुंबई के लिए, मेरे लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना बहुत महत्वपूर्ण है.’ पृथ्वी शॉ हालांकि दलीप ट्रॉफी के सेमीफाइनल की दोनों पारियों में कुछ खास (25 और 26 रन) नहीं कर पाए. 
टी20 फॉर्मेट पर ये बोले पृथ्वी
पृथ्वी शॉ ने आगे कहा कि टी20 फॉर्मेट में ज्यादा आक्रामक होकर खेलना होता है. उन्होंने कहा, ‘सेमीफाइनल मैच में बल्लेबाजों के लिए परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण थी लेकिन उनके पास इससे निपटने के लिए योजना थी. यह संभव नहीं है कि आप हमेशा परफेक्ट रहें. इस तरह की चीजें होने (रन नहीं बनने) के बाद मैं और ज्यादा मेहनत करने की कोशिश करता हूं. टी20 फॉर्मेट में ज्यादा आक्रामक रवैया अपनाना होता है, लेकिन मानसिकता ऐसी ही होती है.’

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