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स्कूली बच्चों की गैजेट पर ज्यादा समय बिताने की आदत पूरी दुनिया में पैरेंट्स की चिंता बढ़ा रही है. अमेरिका के मिशिगन यूनिर्वसिटी के ताजा सर्वे में स्क्रीन टाइम बढ़ने से व्यवहार पर असर का खुलासा किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया और वीडियो गेम की लत बच्चों का मिजाज बिगाड़ रही है.
बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सीएस मॉट चिल्ड्रेस हॉस्पिटल के राष्ट्रीय सर्वे में यह बात सामने आई है कि आधे से अधिक पैरेंट्स बच्चों और किशोरों को लेकर मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहे हैं. अमेरिका में बच्चों द्वारा तकनीक ज्यादा के उपयोग की वजह से बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है. अस्पताल में बाल चिकित्सक एमडी और एमपीएच सुसैन वुडफोर्ड ने बताया कि पैरेंट्स बच्चों पर जंक फूड और मोटापे का बुरा असर देखकर परेशान हो रहे हैं, परंतु मानसिक स्वास्थ्य, सोशल मीडिया और स्क्रीन टाम इन समस्याओं पर हावी हो चुका है. मानसिक स्वास्थ्य चिंता का विषयफरवरी में किए गए सर्वेक्षण में 2099 पैरेंट्स की प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिसमें उन्होंने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की. वुडफोर्ड के अनुसार, पैरेंट्स इस बात का प्रयास करते हैं कि कैसे बच्चों को गैजेट पर ज्यादा समय देने से बचाया जाए, ताकि उनके स्वास्थ्य पर इसका गलत प्रभाव न पड़े.
बच्चों का मूल्यांकन करना जरूरीरिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के दौरान बच्चों के स्क्रीन टाइम को लेकर अभिभावक खासे चिंति रहे हैं. वुडफोर्ड पैरेंट्स को इस बात के लिए जागरुक करती है कि वे बच्चों का मूल्यांकन करें और अगर उन्हें बच्चों के व्यवहार या स्वास्थ्य में किसी तरह के नकारात्मक संकेत नजर आते हैं, तो वे इसके लिए उचित उपाय सुनिश्चित करें.
भारतीय बच्चे भी आगेसोशल मीडिया और इंटरनेट पर समय बिताने में भारतीय बच्चे भी आगे हैं. 2022 में किए गए एक सर्वे के अनुसार, भारत में 9 से 13 वर्ष तक की उम्र के बच्चे प्रतिदिन तीन घंटे से भी ज्यादा समय सोशल मीडिया, वीडियो और वीडियो गेम को देते हैं.
बच्चों में हिंसा की प्रवृत्ति भी बढ़ रहीसर्वेक्षण के अनुसार, अधिकांश पैरेंट्स बच्चों का स्क्रीन टाइम अधिक होने से चिंतित हैं और उन्होंने स्वास्थ्य की परेशानी से जुड़े इस विषय को सूची में पहले और दूसरे स्थान पर रखा है. अभिभावकों ने सर्वे में स्कूल में होने वाली हिंसा या लड़ाई की घटनाओं को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की.

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