[ad_1]

विशाल भटनागर/मेरठः मेरठ में आपको विभिन्न ऐसे मंदिर देखने को मिलेंगे. जिनके प्रति भक्तों की विशेष आस्था जुडी हुई है. कुछ इसी तरह का उल्लेख मेरठ के सम्राट पहले स्थित राजराजेश्वरी मंदिर के प्रति भी देखने को मिलता है. मान्यता है कि जो भी त्रिपुरी देवी मां राजराजेश्वरी की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हैं. उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. शुक्रवार के दिन विशेष रूप से भक्तजन यहां पर पूजा अर्चना करते हुए नजर आते हैं.

मंदिर के मुख्य पुजारी ब्रह्मचारी राधिकानंद ने लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि मां राजराजेश्वरी के भारत में सिर्फ आठ मंदिर बने हुए हैं, जहां मां आदिशक्ति विरजमान है. उन्होंने बताया कि 10 महाविधाओं की जिन देवियों का उल्लेख किया जाता है, उनमें राजराजेश्वरी तृतीय स्थान पर आती है. जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है, उन्हे भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है.

ऐसे हुई थी मां राजराजेश्वरी की उत्पत्तिपौराणिक कथाओं में वर्णन है कि भस्मासुर की राख से उत्पन्न हुए दैत्य का वध करने के लिए मां राजराजेश्वरी देवियों की शक्ति से उत्पन्न हुईं. मां अग्नि से प्रकट हुई थी. लेकिन मां राजराजेश्वरी का तेज इतना तेज था कि उनके सम्मुख कोई भी सवारी रुक नहीं पा रही थी . ऐसे में भगवान ब्रह्मा, विष्णु महेश ने उनका आसान बनाया. अगर आप इस मूर्ति को भी देखेंगे तो इस मूर्ति में भी आपको वह सभी चीज दिखाई देंगी. साथ ही पंचमुखी भोले बाबा शयन निद्रा में लेटे हुए हैं, उनकी नाभि से जो कमल निकला हुआ है. उस आसन पर मां राजराजेश्वरी विरजमान हैं.

 मंदिर में सेना के साथ मौजूद है मांमूर्तिमान्यताओं के अनुसार उस समय मां भगवती की सेना में जो देवी थी. उन सभी 64 देवियों की भी इस मंदिर में मूर्तियां बनाई गई हैं. गौरतलब है कि इस मंदिर का निर्माण 1989 में हुआ था. पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरूपानंद के सानिध्य में राजराजेश्वरी देवी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी.
.Tags: Local18, Meerut news, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : August 27, 2023, 21:49 IST

[ad_2]

Source link