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रिपोर्ट – अंजलि सिंह राजपूत
लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी के चारबाग रेलवे स्टेशन पर पटरियों के बीचों बीच कई साल पुरानी खम्मन पीर बाबा की एक दरगाह है, जो कई किस्से समेटे है. इसके आगे से और पीछे से ट्रेनें गुज़रती हैं. मन्नत मांगने के लिए हर गुरुवार यानी जुमेरात पर यहां पर विशेष इबादत होती है. इबादत करने न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि विदेशों तक से लोग यहां आते हैं. इस दरगाह को लखनऊ की गंगा जमुनी तहज़ीब की भी एक बड़ी मिसाल बताया जाता है क्योंकि यहां हिंदू आते हैं. मुरादें पूरी होने पर यहां ताला, घड़ी और चादर चढ़ाई जाती है. लेकिन सबसे रोचक बात यहां रेलवे ट्रैक बनने की कहानी है.
यहां के इमाम मोहम्मद अरशद रज़ा ने बताया यह दरगाह अंग्रेज़ों के ज़माने से भी पहले की है. अंग्रेज़ी हुकूमत ने जब रेलवे ट्रैक बिछाने का काम शुरू किया तब कुछ अजीब हुआ. जो पटरियां सुबह यहां बिछा कर जाते थे, वे अगले दिन उखड़ कर गिरी हुई नज़र आती थीं. यह सिलसिला लगभग एक हफ्ते तक चला. रज़ा ने यह भी बताया अंग्रेज़ी हुकूमत के चीफ इंजीनियर जब काफी परेशान हो गए थे तब, कहा जाता है चीफ इंजीनियर के सपने में आकर बाबा ने बताया कि यहां उनकी आरामगाह है. छेड़छाड़ बिल्कुल भी न करें. इसी के बाद अंग्रेज़ी सरकार ने बाबा की दरगाह के हिस्से को छोड़कर पटरियों को मोड़कर बिछाया.

भदेवा नाम का था जंगल

रज़ा ने बताया कि अंग्रेज़ों के ज़माने से पहले यहां भदेवा नाम का जंगल हुआ करता था. यह दरगाह एक से दो एकड़ में फैली है. हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धर्म के लोग यहां आते हैं और मुरादें मांगते हैं. यहां हर गुरुवार सुबह 5 से लेकर रात 10 बजे तक हज़ारों ज़ायरीन आते हैं. इमाम के मुताबिक इस दरगाह का पूरा नाम शरीफ शाह शायद कयामुद्दीन है. साथ ही यहां विशेष तौर पर रेवड़ियां चढ़ाई जाती हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Interesting story, Lucknow newsFIRST PUBLISHED : October 28, 2022, 16:34 IST

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