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अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ : नजाकत, नफासत, रूहानियत, अदब-आदाब और पहले आप का शहर लखनऊ, दो भागों में बांटा हुआ नजर आता है. एक है पुराना लखनऊ और दूसरा है नया लखनऊ. पुराने लखनऊ से ही लखनऊ की पहचान है क्योंकि नवाबों की बनाई हुई सारी इमारतें आपको पुराने लखनऊ में ही नजर आएंगी. यहां छोटा इमामबाड़ा और बड़ा इमामबाड़ा, यहां की सिग्नेचर बिल्डिंग रूमी गेट से लेकर यहां की संकरी गलियां तक सब में कहीं न कहीं आपको नवाबों और अंग्रेजों की झलक नजर आ जाएगी.

बात करें नए लखनऊ की तो नए लखनऊ में आपको घूमने के लिए एशिया का सबसे बड़ा पार्क जनेश्वर मिश्र मिलेगा. इसके अलावा लखनऊ का फ्रांस कहे जाने वाला गोमती नगर का अंबेडकर पार्क भी यहीं पर है. पुराने लखनऊ में जहां संकरी गलियों के साथ ही छोटी सड़के हैं तो वहीं नए लखनऊ में मरीन ड्राइव से लेकर यहां की चौड़ी और बड़ी सड़के पर्यटकों को खूब लुभाती हैं.

दोनों का जायका है एक दम अलग

लखनऊ शहर को पकवानों और जायकों का शहर कहा जाता है. खाने की बात आती है तो सबसे पहले लखनऊ का ही नाम आता है. ऐसे में आपको पुराने लखनऊ में जहां नवाबों के वक्त की मलाई गिलौरी, शर्मा जी की चाय और और कबाब से लेकर बिरयानी तक खाने के लिए मिलेंगे. वहीं नए लखनऊ में फास्ट फूड और चाइनीज फूड के लिए मशहूर चटोरी गली है, नए लखनऊ में शर्मा जी की चाय तो नहीं लेकिन 24 कैरेट सोने की चाय जरूर मिल जायेगी.

रहन सहन में है यह अंतर

पुराने लखनऊ में जहां चिकनकारी ज्यादा पसंद की जाती है. लड़कियां भी चिकनकारी कपड़ों में ही आपको नजर आती हैं तो वहीं नए लखनऊ में आपको सूट बूट में बुलेट रानी सड़क पर बुलेट दौड़ाती हैं.

खरीदारी का बाजार भी है जुदापुराने लखनऊ वालों की खरीदारी नक्खास, अमीनाबाद और चौक के बिना पूरी नहीं होती है जबकि नए लखनऊ में रहने वालों की खरीदारी लुलु मॉल, प्लासियो मॉल और पत्रकारपुरम के बिना अधूरी मानी जाती है.
.Tags: Local18, Lucknow news, UP newsFIRST PUBLISHED : September 22, 2023, 20:50 IST

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