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अभिषेक माथुर/हापुड़. मौसम में परिवर्तन के कारण खेती करने वाले किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा चुनौती उन किसानों के सामने हैं, जो धान की खेती कर रहे हैं. धान की खेती में इन दिनों तना छेदक बीमारी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं. जिसकी वजह से किसानों को धान की खेती में काफी नुकसान हो रहा है.

आपको बता दें कि मानसून के इस मौसम में धान की बुआई होती है और फसल में कल्ले फूटने की अवस्था एवं अगेती प्रभेदों में बालियां निकल रही हैं. लेकिन ऐसे में तना छेदक कीट ने किसानों को मुश्किल में डाल रखा है. इस कीट की पहचान मादा पतंगे के पीले अग्रपंखो पर केंद्र में एक प्रकार का विशेष काला निशान होता है. मादा पत्तियों के शिखर पर समूह में अंडे देती है. अंडो में से लार्वा बाहर आता है और पर्णच्छद में छेद करती है और गोभ में जाकर पौधे को क्षति पहुंचाती है, जिससे धान पीली भूरी सी होकर सूख जाती है,

तना छेदक कीट पर नियंत्रण के उपायहापुड़ में बाबूगढ़ कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी एवं सह निदेशक कीट विज्ञान डॉ. अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि यह तना छेदक रोग है, जो मौसम में बदलाव के कारण धान में लग जाता है. ऐसे में किसानों को धान की फसल में तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिए नाइट्रोजन युक्त रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग करना चाहिए. साथ ही जैविक नियंत्रण के लिए ट्राइकोग्रामा किलोनिस परजीवी कीट का उपयोग करें. कीट के नियंत्रण के लिए किसान 20 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से लगाएँ. उन्होंने बताया कि रोग वाले पौधे को उखाड़ कर बाहर फेंक देना चाहिए.
.Tags: Hapur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : July 30, 2023, 21:11 IST

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