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ट्रेजरी के सहायक लिपिक कोषागार के बाबू रमेश चंद्र चौधरी को सभी कागजात दिए थे, लेकिन बाबू के द्वारा पीड़ित अनिल सिंह को पारिवारिक पेंशन बनाने के लिए रोज दौड़ा रहा था

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