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सनंदन उपाध्याय/बलिया. हर जगह के नाम के पीछे उससे जुड़ी एक कहानी होती है. शहरों का नाम उस जगह की खासियत के हिसाब से रखा जाता है. यकीनन अधिकांश शहरों के नाम के पीछे कोई ना कोई राज छिपा होता है. बलिया जनपद के एक गांव के नामकरण और निर्माण की कहानी खासी रोचक है. इस गांव से ब्लॉक मुख्यालय हनुमानगंज और करनई भी जुड़ा हुआ है. हम बात जीरा वस्‍ती की बात कर रहे हैं.

यहां जीरा नामक जीर्ण राजा का निवास था. इसी क्षेत्र के रहने वाले हैहय वंशी ने राजा जीरा को हराया था. इसके नाम पर इस पूरी ग्राम सभा का नाम ही जीरा वस्ती (बस्‍ती) पड़ गया. बलिया के इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कोशिकेय ने बताया कि यह बड़ी ग्राम सभा है. इसका नाम जीर्ण राजा जीरा के नाम पर रखा गया था. इससे कई गांव जुड़े हुए हैं. यहीं के हैहय वंशियों ने इस जीर्ण राजा को हराकर इस पूरे राज्य पर अपना अधिकार बना लिया था.

ग्राम सभा के नामकरण की है रोचक कहानीबलिया जनपद में स्थापित जीरा बस्‍ती एक बड़ी ग्राम सभा है. इसके नामकरण और निर्माण की बात करें तो बड़ा ही रोचक तथ्यों से भरा पड़ा है. इस ग्राम सभा का निर्माण जीर्ण राजा जीरा के समय हुआ था. इसी जनपद के हल्दी क्षेत्र के रहने वाले राजा हर्ष नारायण देव के पुत्र राजा घोघदेव ने राजा जीरा को हराकर टकरसन, जीरा वस्ती, जमुना, रेपुरा, करनई, दुर्जनपुर और दीघार जैसे अनेकों गांव पर अपना अधिकार जमा लिया था. तब से लेकर अब तक यह ग्राम सभा जीरा बस्‍ती के नाम से ही मशहूर है.

ग्राम सभा पर था हैहय वंशियों का कब्जाइतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कोशिकेय के मुताबिक, बलिया के हैहय वंशियों ने ही जीरा नामक राजा को हराकर अनेकों गांव पर अपना अधिकार जमाया था. हालांकि जिस समय हल्दी के राजा घोघदेव ने राजा जीरा को हराकर इन गांवों पर अपना अधिकार जमाया था, उस दौरान हल्दी ही इन सभी का मुख्य केंद्र हुआ करता था. जबकि यहां काफी कम संख्‍या में उज्जैनवासी पनवार राजपूत हैं, जिनका संबंध डुमरांव परिवार से है. ये राजपूतों में बहुत सम्मानित माने जाते हैं और 1891 में इनकी संख्या केवल 775 थी.

.Tags: Ballia news, Hindi news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : November 7, 2023, 16:41 IST

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