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आदित्य कृष्ण/अमेठी. जुलाई से सावन के पावन महीने की शुरुआत हुई है. सावन का महीना भोलेनाथ को अतिप्रिय है. इस माह में भगवान शंकर के शिवालयों पर पूजा-अर्चना के साथ जलाभिषेक किया जाता है. लेकिन अमेठी जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है. जहां जलाभिषेक की परंपरा वर्षों से नहीं है. जी हां इस मंदिर पर जलाभिषेक कई वर्षों से नहीं होता है.

गौरीगंज जिला मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर बाबूगंज सगरा आश्रम है. इसी आश्रम में सैकड़ों वर्ष पुराना एक शिव मंदिर विराजमान है. शिव मंदिर पर सावन भर न सिर्फ वैदिक मंत्रोचार का जाप होता है. बल्कि 24 घंटे ओम नमः शिवाय का जप भी किया जाता है.

मंदिर के पीठाधीश्वर अभय चैतन्य मौनी महाराज ने बताया कि यह मंदिर की सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा है जहां पर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक नहीं किया जाता. हर भक्त अक्षत, चंदन, इत्र और सुगंधित तेल मिलाकर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं, मंदिर में 5 लाखसे अधिक रुद्राक्ष भी सजाए गए है. ऐसा पूजन करने से रोगो का हरण होता है विपदाओं का विनाश होता है.

वर्षों पुरानी है परंपरा

मंदिर के पीठाधीश्वर ने बताया कि लोगों के कल्याण राष्टरक्षा, भूखमरी दूर करने के लिए इस तरह से पूजन किया जाता है. जब सृष्टि में कुछ भी नहीं बचा तो भगवान भोलेनाथ ने माता अन्नपूर्णा का आह्वान किया उसी परंपरा के अनुसार इस मंदिर पर जलाभिषेक के बजाय अन्य विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. देश के लोग निरोग्य रहे कभी भुखमरी ना हो कभी कोई आपदा ना आए इस लिए यह अनुष्ठान सावन भर किया जाता है.

हर मुराद भोले बाबा करते हैं पूरी

मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में गरीबी और तमाम बाधाएं समाप्त होती है. इसके साथ ही जो भी भक्त इस अनुष्ठान को पूरा करता है उसकी हर समस्या दूर होती है. इस प्राचीन शिव मंदिर पर सावन माह में भक्तों की भारी भीड़ भी होती है और भक्त अपनी मुरादे लेकर भगवान शंकर के दरबार पहुंचते हैं और मंदिर की मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं.
.Tags: Amethi news, Local18, Religion 18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 01, 2023, 22:15 IST

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