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सौरभ वर्मा/रायबरेली: कहते हैं परिवर्तन संसार का नियम है. लोग भी अपने काम को आसान बनाने के लिए तकनीकी का ही सहारा ले रहे हैं. हाईटेक होती दुनिया में लोग पुराने तौर-तरीकों को भूलकर नए तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं अगर पुराने समय की बात करें तो लोगों के पास एक से बढ़कर एक औजार हुआ करते थे जो वर्तमान समय में शायद ही किसी घर में देखने को मिलती हो. दरअसल, हम जिस औजार की बात कर रहे हैं उसे ग्रामीण अंचल क्षेत्र में बिलइया के नाम से जाना जाता है. आम बोलचाल की भाषा में लोग उसे कांटा के नाम से भी जानते हैं. जिसका उपयोग कुएं में गिरी वस्तुओं को बाहर निकालने में किया जाता था.

रायबरेली के केसर खेड़ा गांव के रहने वाले कमलेश कुमार बताते हैं कि आज से लगभग 50-60 साल पहले जब ग्रामीण क्षेत्रों में न तो बिजली थी न ही उतने संसाधन उपलब्ध थे. तो गांव के लोग कुएं से पानी भरते थे. जब कुएं में उनकी बाल्टी या रस्सी गिर जाती थी तो उसे निकालने के लिए लोग बिलइया जिसे आम बोलचाल की भाषा में कांटा कहा जाता है उसका प्रयोग करते थे. यह एक ऐसा औजार था जिसमें छोटे-बड़े आकार के 9 से 10 कांटे एक गोल छल्ले में लगे होते थे.

ग्राहक और विक्रेता दोनों गायब किसान कमलेश कुमार बताते हैं कि पुराने समय में संसाधनों की कमी थी. लोग पीने के पानी से लेकर खेतों में सिंचाई के लिए भी कुओं पर निर्भर थे. इसीलिए बिलइया हर घर में उपलब्ध होती थी. परंतु बदलते समय के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से कुएं और “बिलइया बिल्कुल गायब हो गए . लेकिन आज के दौर में न तो कोई इसे बनाता है और न ही कोई इसे खरीदना है. पहले के समय यह 40 से 80 रुपए में आसानी से मिल जाती थी.
.Tags: Local18, Rae Bareli News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : March 19, 2024, 23:03 IST

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