[ad_1]

नोएडा. डीएनडी फ्लाई ओवर (DND Fly Over) से गुजरने और उसके आसपास बसे नोएडा के 14 अलग-अलग सेक्टर में रहने वालों को खराब हवा से डरने की जरूरत नहीं है. बीते साल की तरह से इस साल भी हवा में मौजूद पीएम 2.5 का सामना नहीं करना पड़ेगा. नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) की ओर से डीएनडी फ्लाई ओवर पर लगाया गया एयर पॉल्यूशन कंट्रोल टावर (APCT) एक बार फिर से तैयार है. पराली (Prali) और दिवाली के पटाखों (Diwali Fire Creckers) को देखते हुए टावर को दुरुस्त कर लिया गया है. संबंधित अधिकारियों का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी ता अक्टूबर में भी टावर को चालू किया जा सकता है. इसी तरह दिल्ली के कनॉट प्लेस (Connaught Place) में लगा स्मॉग टावर भी हवा को साफ करने के लिए तैयार कर लिया गया है.
10 हजार फिल्टर और 40 बड़े पंखे साफ करते हैं नोएडा की हवा
नोएडा में बने स्मॉग टावर के साइज की बात करें तो इसमें हवा छानने वाले 10 हजार फिल्टर लगे हैं. यह फिल्टर हवा को छानते हैं और 40 बड़े पंखे उस साफ हवा को बाहर फेंकते हैं. जानकारों का कहना है कि इस तरह के स्मॉग टावर से करीब एक किमी दायरे की हवा को साफ किया जा सकता है. स्मॉग टावर 20 मीटर यानी करीब 7 फ्लोर के बराबर है. इसमे कंक्रीट के टावर की ऊंचाई 20 मीटर है, जबकि उसके ऊपर छह मीटर की कैनोपी है. इसके बेस में चारों ओर 10-10 पंखे लगे हैं. प्रत्येक पंखा प्रति सेकेंड 25 घन मीटर हवा फेंकता है, मतलब एक सेकेंड में 1000 घनमीटर हवा बाहर आती है. टावर के भीतर दो लेयर में कुल 5000 फिल्टर लगाये गये हैं. फिल्टर और फैन अमेरिका से मंगाये गये हैं.
हवा को ऐसे साफ करता है स्मॉग टावर
स्मॉग टावर का ऊपरी हिस्सा बाहर की प्रदूषित हवा को अंदर खींचता है. चारों दिशाओं में बनी 4 केनोपी के सहारे यह प्रदूषित हवा फ़िल्टर तक पंहुचती है. ये फिल्टर इस हवा में से प्रदूषित कणों को बाहर कर देते हैं और फिर छनी हुई हवा बड़े बड़े पंखों से बाहर निकाली जाती है. इस तरह ये टावर बाहर से प्रदूषित हवा को लेकर अंदर फिल्टर से साफ करता है और फिर साफ हवा को बाहर छोड़ देता है.
दिल्ली के बाद नोएडा में बना स्मॉग टावर
अगस्त 2020  में दिल्ली के कनॉट प्लेस में एक स्मॉग टावर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है. यह दिल्ली-एनसीआर का पहला स्मॉग टावर है. इसके बाद ही नोएडा में स्मॉग टावर शुरू किया गया है. बीते साल दिल्ली और नोएडा के स्मॉग टावर ने अच्छे परिणाम दिए थे. इसी के बाद नोएडा के दूसरे इलाकों में भी स्मॉग टावर बनाए जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट की दिल्ली के मामले में टिप्पणी आने के बाद स्मॉग टावर बनना शुरू हुए हैं.
दो साल तक IIT दिल्ली-मुम्बई मॉनिटरिंग करेंगे स्मॉग टावर की
आईआईटी-बम्बई द्वारा कम्प्यूटेशनल फ्लूड डायनामिक्स मॉडलिंग से पता चलता है कि स्मॉग टावर से इसके एक किमी तक की हवा की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है. दो साल के पायलट अध्ययन में आईआईटी-बम्बई और आईआईटी-दिल्ली द्वारा वास्तविक प्रभाव का आकलन किया जाएगा, जिसके तहत यह भी निर्धारित किया जाएगा कि विभिन्न मौसम की भिन्न-भिन्न स्थितियों के तहत टावर कैसे काम करता है, और हवा के प्रवाह के साथ PM 2.5 का स्तर कैसे बदलता है. टावर में मौजूद ऑटोमेटेड सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्वीजिशन प्रणाली वायु की गुणवत्ता को मॉनिटर करेगी. ये मॉनिटर टावर से अलग-अलग दूरी पर स्थापित किये जाएंगे, ताकि इन दूरियों के अनुरूप इसके असर का आकलन किया जा सके.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Air pollution, Air pollution in Delhi, Noida Authority, Smog towerFIRST PUBLISHED : September 30, 2022, 14:29 IST

[ad_2]

Source link