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रिपोर्ट- अभिषेक जायसवाल
वाराणसी. वाराणसी (Varanasi) में होने वाली देव दीवाली (Dev Deepawali 2022) को लेकर तैयारियां जारी हैं. देव दीपावली पर काशी (Kashi) के अर्धचंद्राकार घाटों पर इस बार 10 लाख दीये जलेंगे. इसके अलावा लेजर शो और ग्रीन आतिशबाजी इस महोत्सव में चार चांद लगाएगी. काशी में मनाए जाने वाला देवताओं के इस दीवाली का सीधा नाता भगवान शंकर से जुड़ा है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरा सुर नाम के राक्षस का वध किया था, जिसकी खुशी में देवताओं ने दिवाली मनाई थी.
काशी के ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि त्रिपुर नाम के दैत्य से सभी देवी देवता परेशान थे. दैत्य त्रिपुर के उत्पीड़न से परेशान देवताओं ने इससे मुक्ति के लिए भगवान शंकर से प्रार्थना की. जिसके बाद भगवान शिव ने देवताओं के प्रार्थना पर उसका वध किया वो दिन कार्तिक पूर्णिमा का था. त्रिपरासुर राक्षस के वध के बाद उसके खुशी में देवताओं ने काशी में गंगा तट के किनारे दिवाली मनाई बस तब से ये परम्परा चली आ रही है.
काशी में क्यों मनाई जाती है देव दीपावलीऐसी मान्यता ही कि आज भी इस दिन अदृश्य रूप में स्वर्ण लोक से देवता पृथ्वी लोक पर आते है. यही वजह है कि इस दिन घाटों पर दीपदान भी किया जाता है. गंगा तट के किनारे आज भी लोग देवताओं के नाम से 108 बत्ती का दीप जलाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन दीपदान करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.ये भी है एक कथाइससे जुड़ी एक और कथा राजा दिवोदास से भी जुड़ी है. कथाओं के मुताबिक राजा दिवोदास ने अपने राज्य काशी में देवताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था. कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शंकर वेश बदलकर काशी आए लेकिन इसकी जानकारी राजा दिवोदास को हो गई और उन्होंने उन्हें पकड़ लिया और इस प्रतिबंध जो हटा दिया. जिसकी खुशी में देवताओं ने गंगा तट के किनारे दीप जलाकर खुशी मनाई.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Diwali Celebration, Lord Shiva, PM Modi, UP news, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : November 06, 2022, 11:34 IST

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